…तो इस वजह से मायावती ने की जेपी की छुट्टी, इसके पीछे छिपे हैं खास सियासी संदेश

दो महीने पहले बसपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे अहम पद पर नियुक्ति और राष्ट्रीय को-ऑर्डीनेटर पद की जिम्मेदारी। अब दोनों ही पदों से छुट्टी। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के दो महीने पहले के फैसले ने भी चौंकाया था और आज के फैसले ने भी चौंका दिया।

इतने दिनों में ही जयप्रकाश जैसे सियासत के लिए अनजान चेहरे का फर्श से अर्श और फिर अर्श से फर्श पर आना सामान्य बात नहीं है। यह फैसला बताता है कि 2014 और 2017 के चुनाव में झटका खा चुकीं मायावती अब सियासत की राह पर संभल कर कदम बढ़ा रही हैं। इसीलिए उन्होंने जयप्रकाश को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय को-ऑर्डीनेटर के पद से मुक्त कर विवाद खड़ा होने की आशंकाओं को खत्म करने की कोशिश की है।

मायावती नहीं चाहती कि सोमवार को लखनऊ में पार्टी की बैठक में जयप्रकाश सिंह की बातें बसपा को घेरने का हथियार बनें और भाजपा विरोधी दलों के नेताओं से रिश्ते खराब हों। शायद इसीलिए सियासत में अपनी छवि को लेकर काफी सजग मायावती ने बिना देरी किए कार्रवाई कर डाली। यह पहला मामला नहीं है।

इससे पहले भी मायावती ने विवाद या आरोपों की छीटें अपनी ओर आते देख उन्हें आने से पहले ही संबंधित व्यक्ति पर तलवार चलाकर रुख दूसरी तरफ मोड़ दिया। वह चाहे औरैया का इंजीनियर मनोज गुप्ता हत्याकांड हो या बांदा का शीलू निषाद अथवा एनआरएचएम घोटाला।

यह भी है एक वजह

सभी को याद होगा कि भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की मायावती पर टिप्पणी के विरोध में मैदान में उतरे बसपा के तत्कालीन नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित बसपा के अन्य नेताओं ने सिंह के परिवार के लोगों पर कई अशोभनीय टिप्पणियां कर दी थीं। इसे भाजपा ने मुद्दा बना लिया था।
इस आंदोलन ने भाजपा को बसपा के खिलाफ माहौल बनाने में काफी मदद की थी। शायद इसी वजह से मायावती ने जयप्रकाश पर कार्रवाई कर विवाद खड़ा होने से बचाने की कोशिश की है। अतीत पर नजर डालें तो बसपा सुप्रीमो को किसी नेता का ज्यादा प्रचार-प्रसार करके अपनी ब्रांडिंग करना पसंद नहीं है।जयप्रकाश और वीर सिंह के समर्थन में  बड़े पैमाने पर होर्डिंग व कटआउट लगवाए गए थे। जयप्रकाश पर कार्रवाई का एक कारण यह भी बना। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में मायावती की कांग्रेस से समझौते की बातचीत भी चल रही है। इसलिए भी उन्होंने जयप्रकाश पर आनन-फानन में कार्रवाई कर दी।

जानें, कौन हैं जयप्रकाश

जयप्रकाश सिंह दलित समाज में जाटव जाति के है। जिस जाति की मायावती हैं। वे गौतमबुद्ध नगर के दादरी इलाके के रहने वाले हैं। जेपी 2009 से पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में बसपा में काम कर रहे हैं। मायावती के भाई आनंद के विश्वासपात्र जयप्रकाश 26 मई को उस वक्त चर्चा में आए जब उन्हें पार्टी में सबसे अहम पद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।

बताया जाता है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच मंच से भाषणों में खुद को जय और साथी नेता वीर सिंह को वीरू बताकर गब्बर सिंह (मोदी) का सफाया करने का दावा करने वाले जयप्रकाश ने कल भी यह बात कही थी। पर, उन्हीं को पद से हटा दिया गया।

उनकी मंगलवार को वाराणसी में बैठक होनी थी। पर, इस बैठक में वह जाकर और कुछ कहते उससे पहले ही मायावती ने उन्हें चलता कर दिया।

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