रालोद का भाजपा व मोदी पर हमला कहा- समाज का ध्यान भटकाने के कुशल कलाकर

लखनऊ: कैराना जीतने वाले राष्ट्रीय लोकदल ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय समाज का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने में कुशल कलाकर कहे जा सकते हैं. चौधरी अजित सिंह की पार्टी ने कहा कि बीते कुछ महीनों से नाराज चल रहे अनुसूचित जाति और जनजाति के जनसमूह को पदोन्नति में आरक्षण का झुनझुना पकड़ाकर देश के समाज को आरक्षण समर्थक और आरक्षण विरोधी दो वर्गों में बांटने का काम किया है और दोनों ही वर्ग उद्वेलित हैं.रालोद का भाजपा व मोदी पर हमला कहा- समाज का ध्यान भटकाने के कुशल कलाकर

रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि संपूर्ण देश के नौजवान बीते साढ़े चार वर्ष से सरकारी नौकरी एवं रोजगार की प्रतीक्षा में निराशा की मार झेल रहे हैं तो देश का किसान वर्ग स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होने का इंतजार कर रहा है. आम आदमी अमन चैन का जीवन जीना चाहता है, जिसमें मंहगाई की मार न हो और न ही अनावश्यक उत्पीड़न हो. उन्होंने कहा कि इन सभी स्थितियों से जनजीवन स्वयं में ही व्याकुलता का दंश झेल रहा है और सत्तारूढ़ पार्टी के मुखिया द्वारा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पदोन्नति में आरक्षण को बहाल करके एक तरफ दलित वर्ग को खुश करने का कुचक्र रचा है तो दूसरी ओर संपूर्ण समाज को दो वर्गों में विभाजित करके असली मुद्दों से भटकाकर सामाजिक विषमता फैला दी है.

सरकार की नीतियों से जनता त्रस्‍त

रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि देश के मुखिया को 2014 में पार्टी द्वारा घोषित घोषणापत्र को अमली जामा पहनाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए था. लेकिन देश के प्रधानमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्णत: विफल रहे हैं और अब चुनावी वर्ष में 2013 के मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने की तरह संपूर्ण देश को ही दो वर्गों में बांटकर चुनावी लाभ हासिल करने का दिवास्वप्न देख रहे हैं, जबकि इनकी नीतियों से तंग आकर उप्र की जनता ही नहीं, बल्कि संपूर्ण देश महागठबंधन के पक्ष में मतदान करने का मन बना चुका है.

जनता को नहीं चाहिए समाज को बांटने वाली राजनीति

उन्होंने कहा कि भाजपा और इसके गोदी मीडिया वाले सवाल उठाते हैं कि महागठबंधन का चेहरा कौन होगा. लेकिन देश की जनता को चेहरा नहीं, बल्कि अपना संविधान, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष भारतीय समाज चाहिए. दंगा-फसाद, गोरक्षा के नाम पर हत्या, दलितों की पिटाई वाला माहौल, धर्म के नाम पर समाज को बांटने वाली राजनीति नहीं चाहिए.

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