तीखे हो सकते हैं सुखबीर और मजीठिया के खिलाफ सिद्धू के तेवर, जानें वजह
चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट से स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को मिली बड़ी राहत कैप्टन सरकार में उनके कद को और बढ़ा सकती है। सिद्धू अब एक बार फिर से पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल और पूर्व राजस्व मंत्री बिक्रम मजीठिया के खिलाफ मोर्चा खोलने को तैयार दिखाई दे रहे हैं। मंगलवार को जब लोग उन्हें बधाइयां दे रहे थे, तो अपने आपको विनम्र दिखाते हुए सिद्धू बीच-बीच में तेवर भी दिखा रहे थे। इसे देखकर लगता है कि सिद्धू कांग्रेस में अपना प्लेटफॉर्म बनाएंगे। इस पर संभव है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह से निराश ऐसे नेताओं को जगह मिल सके, जो अकाली दल व खासकर सुखबीर व बिक्रम के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहते हैं।
शिरोमणि अकाली दल से नाराज नेताओं को एक मंच पर लाकर खोल सकते हैं मोर्चा
माझा में वर्चस्व की राजनीति बनाने के लिए सिद्धू का टारगेट साफ है। वह सीधे तौर पर बिक्रम मजीठिया के खिलाफ ही उतरेंगे। इस बात की संभावना है कि वह मजीठिया को खुलकर चुनौती दें। कांग्रेस में करीब 40 विधायक इस तरह की मांग कर चुके हैं, जो सीएम ने ठंडे बस्ते में डाल दी थी। ड्रग्स को लेकर मजीठिया को सिद्धू शुरू से ही टारगेट पर रखते आ रहे हैं। यहां तक कि सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से बनाई गई एसटीएफ की रिपोर्ट भी उन्होंने सार्वजनिक की, लेकिन इससे पहले कि वह खुलकर लड़ाई लड़ते, उनका अपना केस फैसले पर आ गया, जिसके चलते उन्होंने खामोशी साध ली। अब जबकि फैसला उनके पक्ष में आ गया है, तो उनके लिए बोलना आसान होगा।
अब तक नहीं मिला साथ
ड्रग्स को लेकर बिक्रम मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की उनकी मांग को कैप्टन अमरिंदर सिंह अनसुना करते रहे हैं। इसी तरह केबल पर एंटरटेनमेंट टैक्स लगाने, रेत खनन पर कॉर्पोरेशन बनाने, ट्रांसपोर्ट माफिया को कंट्रोल करने जैसे मुद्दों पर उन्हें अपनों का साथ नहीं मिला। देखना होगा कि अब वह इन मामलों पर क्या रुख अपनाते हैं। उनका अगला निशाना सरकारी जमीन से अवैध कब्जे छुड़ाना है, जिसको लेकर उनकी अगुवाई में एक कमेटी भी बनी हुई है।
राहुल, प्रियंका की प्रशंसा
मीडिया से रूबरू होते समय उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की खूब प्रशंसा की। कर्नाटक में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के चलते बार-बार उनसे राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल पूछे गए। सिद्धू ने कहा, ‘राहुल गांधी कांग्रेस को संकट के समय लीड कर रहे हैं। यूपीए की दो बार लगातार सरकार रही। वह जब चाहते पीएम बन सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने आप को पीछे रखा। यह वह पार्टी है, जिसमें मेरे पिता ने 46 तक सेवा की है। हार-जीत लड़ाई का एक हिस्सा होता है।’