स्क्रब टायफस के बढ़ते मरीज, स्वास्थ्य विभाग की मॉनिटरिंग पर उठे सवाल
प्रदेश के अस्पतालों में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और स्क्रब टायफस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन स्क्रब टायफस के मामले सबसे ज्यादा चिंता का विषय बने हुए हैं। जयपुर में इस साल अब तक 178 स्क्रब टायफस के मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, एसएमएस अस्पताल में जनवरी से अगस्त तक 216 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पिछले 10 दिनों में ही 133 नए केस दर्ज हुए हैं।
मौतों का आंकड़ा और विरोधाभास
एसएमएस अस्पताल के अनुसार, 1 सितंबर से अब तक 133 स्क्रब टायफस के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 3 मौतें पिछले 10 दिनों में हुई हैं। इस साल अस्पताल में स्क्रब टायफस से कुल 6 लोगों की मौत हो चुकी है। मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. सुधीर मेहता ने बताया कि मौजूदा मौसम स्क्रब टायफस के लिए अनुकूल है और मरीज बुखार, उल्टी, निमोनिया जैसे लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। गंभीर मामलों में मस्तिष्क और फेफड़ों पर असर और प्लेटलेट्स की कमी जैसी जटिलताएं देखी जा रही हैं।
हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में 9 सितंबर तक प्रदेश में स्क्रब टायफस के 1128 मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन मौतों का कोई उल्लेख नहीं है। यह आंकड़ों का विरोधाभास यह सवाल खड़ा करता है कि स्वास्थ्य विभाग मौसमी बीमारियों की रोकथाम और मॉनिटरिंग को लेकर कितना गंभीर है।
सटीक मॉनिटरिंग की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मरीजों को समय पर इलाज मिल जाए, तो उनकी जान बचाई जा सकती है, लेकिन देरी से स्थिति गंभीर हो सकती है। मौसमी बीमारियों की सही मॉनिटरिंग और मौतों के सही आंकड़ों का होना आवश्यक है ताकि समय पर उचित कदम उठाए जा सकें। स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल के आंकड़ों में विरोधाभास से विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।