उत्तराखण्ड: डीआरडीओ में वैज्ञानिक का 12 साल बाद हुआ तबादला, लेकिन कार्यालय का पता नहीं
देहरादून: डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) जैसे चोटी के रक्षा अनुसंधान संस्थान में एस्टेट मैनेजर के पद तैनात ‘जी’ श्रेणी के वरिष्ठतम वैज्ञानिक का 12 साल बाद तबादला तो किया गया, लेकिन ऐसे कार्यालय में जिसका पता उनके अफसरों को भी नहीं है। कुछ दिन पहले डीआरडीओ मुख्यालय नई दिल्ली से उनके तबादले का आदेश जारी किया गया, मगर नई तैनाती के आगे प्रोजेक्ट ऑफिस देहरादून लिखा गया है, जबकि ऐसा कोई कार्यालय देहरादून में है ही नहीं।
डीआरडीओ में एस्टेट मैनेजर जैसा पद रोटेशनल ट्रांसफर का हिस्सा होता है और नियमों के अनुसार हर तीन साल में ऐसे पदों पर कार्यरत कार्मिकों का स्थानांतरण होना चाहिए। बावजूद इसके देहरादून के एस्टेट मैनेजर (साइंटिस्ट-जी) करीब 12 सालों से इसी पद पर तैनात थे। कुछ दिन पहले जब डीआरडीओ मुख्यालय नई दिल्ली से डायरेक्टर (पर्सनल) गोपाल भूषण के हस्ताक्षर से जारी स्थानांतरण सूची में दून के एस्टेट मैनेजर का नाम नवें क्रम पर है।
इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि सूची में उनका नया तैनाती स्थल प्रोजेक्ट ऑफिस देहरादून है। देहरादून के एस्टेट मैनेजर यहां डीआरडीओ के डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लिकेशन लैबोरेटरी (डील), इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (आइआरडीई) व इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट (आइटीएम) संस्थानों में लगभग सभी तरह के ठेका संबंधी कार्यों की जिम्मेदारी संभालते हैं। खास बात यह कि इन तीनों कार्यालयों में भी ऐसा कोई प्रोजेक्ट ऑफिस नहीं है।
न ही तीनों संस्थानों के निदेशकों को ऐसे किसी कार्यालय के होने की जानकारी है। डील के निदेशक डॉ. आरएस पुंडीर का कहना है कि उन्हें ऐसे किसी कार्यालय का पता नहीं है। हो सकता है कि भविष्य में कोई ऐसा कार्यालय स्थापित किया जाए। इसी तरह आइआरडीई के निदेशक लॉयनल बेंजामिन भी ऐसे किसी कार्यालय की जानकारी होने से इन्कार कर रहे हैं। जबकि आइटीएम मसूरी के निदेशक संजय टंडन कहते हैं कि जिस अधिकारी के हस्ताक्षर से स्थानांतरण किया गया है, इस बारे में उन्हीं से सवाल करने चाहिए। गोपाल भूषण, डायरेक्टर (पर्सनल, डीआरडीओ) का कहना है कि मैं रोजाना तमाम तरह के आदेशों पर हस्ताक्षर करता हूं। एस्टेट मैनेजर के स्थानांतरण आदेश में क्या लिखा गया है, मुझे अभी इस बात की जानकारी नहीं है।