हरियाणा में अनुसूचित जाति आयोग का होगा जल्‍द गठन : सीएम खट्टर

चंडीगढ़। हरियाणा में करीब चार साल बाद फिर से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग अस्तित्व में आ गया है। विधानसभा में मानसून सत्र के अंतिम दिन सरकार ने एससी-एसटी आयोग के गठन का विधेयक पारित कर दिया। आयोग को वैधानिक दर्जा देने के लिए प्रदेश सरकार ने इसे संविधान के अनुच्छेद 338 से जोड़ा है।

हरियाणा में अनुसूचित जाति आयोग का होगा जल्‍द गठन : सीएम खट्टर
हरियाणा में अनुसूचित जाति आयोग का होगा जल्‍द गठन : सीएम खट्टर

आयोग को हर साल पांच करोड़ का बजट, अनुसूचित जाति के लोगों पर उत्पीडऩ की तुरंत सुनवाई. अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी की ओर से पेश विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया। राज्यपाल की मुहर लगने के बाद सरकार विधेयक की अधिसूचना जारी करेगी। इसके बाद ही आयोग के चेयरमैन, डिप्टी चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति होगी।

प्रदेश सरकार ने आयोग के लिए पांच करोड़ रुपये सालाना बजट रखा है। 17 अक्टूबर 2012 को संसदीय समिति के हरियाणा दौरे और आला अधिकारियों की उपायुक्तों से कई दौर की बैठकों के बाद एससी-एसटी आयोग के गठन की सिफारिश की गई थी। तत्कालीन हुड्डा सरकार ने करीब एक वर्ष बाद 10 अक्टूबर 2013 को प्रदेश में एससी-एसटी आयोग का गठन कर दिया था।

उस समय कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष फूलचंद मुलाना को आयोग का चेयरमैन बनाया गया। सत्ता में आने के बाद भाजपा की सरकार ने 12 दिसंबर 2014 को आयोग भंग कर दिया। इसके बाद से एससी-बीसी कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई जिसने विगत मार्च में अपनी रिपोर्ट देते हुए आयोग के गठन की सिफारिश कर दी थी।

अब एससी-एसटी उत्पीड़न से जुड़े मामलों की सुनवाई आयोग में हो सकेगी। आयोग को किसी भी मामले में संज्ञान लेने के अधिकार भी रहेंगे। इन वर्गों के खिलाफ अपराध के अलावा सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों तथा विश्वविद्यालयों में कार्यरत इन वर्गों के कर्मचारियों के उत्पीडऩ के मामले भी आयोग में सुने जा सकेंगे। किसी सेवानिवृत्त अधिकारी या सामाजिक जीवन में व्यापक अनुभव रखने वालों को इसका चेयरमैन बनाया जा सकेगा। विशेष सचिव स्तर के आइएएस अधिकारी को आयोग का सदस्य सचिव नियुक्त किया जाएगा।

आयोग के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां होंगी। इसके तहत आयोग किसी भी व्यक्ति को समन जारी कर सकेगा। अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी तलब करने के अधिकार होंगे। आयोग दस्तावेज भी मांग सकेगा और चाहेगा तो शपथपत्र भी हासिल करेगा। आयोग के पास वित्तीय अधिकार भी रहेंगे।

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