जो सचिन ने धोनी के साथ किया, वही रोहित ने कार्तिक के साथ किया

प्रेमदासा पर आखिरी गेंद पर जमाए दिनेश कार्तिक के छक्के की तुलना 2011 वर्ल्ड कप में वानखेड़े पर जड़े धोनी के विश्व विजयी छक्के से की जा रही है. ये तुलना होनी भी चाहिए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों छक्कों में कई चीजें कॉमन भी हैं.

गजब समानता है धोनी-कार्तिक के छक्के में 

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इन दोनों छक्कों के बीच जो सबसे बड़ी समानता है उसके तार सचिन और रोहित से जुड़े हैं. 2011 में धोनी ने जो छक्का जड़ा था उस ऐतिहासिक छक्के को सचिन तेंदुलकर नहीं देख पाए थे. जी हां, जिस छक्के ने सचिन का सबसे बड़ा ख्वाब पूरा किया सचिन उसे देखने से ही महरूम रह गए थे. 2018 में कार्तिक के साथ रोहित ने भी कुछ ऐसा ही किया. बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी गेंद पर कवर प्वाइंट में जमाए कार्तिक के मैच विनिंग सिक्स को रोहित शर्मा भी नहीं देख सके थे. मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोहित ने इसके पीछे की वजह का भी खुलासा किया. रोहित ने कहा, ” मुझे लगा था कि मैच सुपर ओवर में जा सकता है लिहाजा मैं पैड बांधने चला गया था.”

कामयाब रहा रोहित का ‘मास्टर-स्ट्रोक’

वैसे एक बात तो साफ है कि रोहित को कार्तिक पर पूरा भरोसा था. यही वजह है कि वो पैड बांधने चले गए थे क्योंकि वो जानते थे कि कार्तिक छक्का नहीं तो चौका जड़कर मैच को सुपर ओवर में तो ले ही जाएंगे. कार्तिक पर रोहित के इस भरोसे का पता उनके इस बयान से भी लगाया जा सकता है, जिसमें वो कह रहे हैं कि, “कार्तिक को बैटिंग ऑर्डर में नीचे भेजना मेरा दांव था क्योंकि हम आखिर में एक अनुभवी खिलाड़ी को मैदान पर चाहते थे. और, इसके लिए कार्तिक से बेहतर च्वाइश कोई नहीं हो सकता था. मुझे खुशी है कि मेरा दांव कामयाब रहा.”

एक छक्के ने रुलाया, एक ने जश्न का मौका दिया

7 साल पहले 2011 वर्ल्ड कप में धोनी ने जो छक्का जड़ा था उस छक्के की वजह से भारत वनडे क्रिकेट में अपनी बादशाहत कायम की थी. साल 2018 में कार्तिक के आखिरी गेंद पर जमाए छक्के की वजह से भारत 3 देशों की T20 टूर्नामेंट निदाहस ट्रॉफी का चैम्पियन बना. बेशक जीत सात साल पहले वाली बड़ी थी लेकिन 7 साल बाद वाली जीत का एहसास भी उतना ही रोमांचक था. इसके अलावा एक और चीज ये कि धोनी के छक्के ने जहां श्रीलंका को रूलाया था क्योंकि इससे उनके वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूटा था वहीं कार्तिक के छक्के ने उसी श्रीलंका को जश्न मनाने का मौका दिया था क्योंकि बांग्लादेश के हाथों से हारकर ही श्रीलंकाई टीम इस टूर्नामेंट के फाइनल की रेस से बाहर हुई थी.

 
 
 
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