यूक्रेन में चल रहे महायुद्ध के दौरान रूस और चीन एक-दूसरे के काफी नजदीक आए

यूक्रेन चल रहे महायुद्ध के दौरान रूस और चीन एक-दूसरे के काफी नजदीक आए हैं। पिछले एक साल में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग काफी बढ़ा है। इससे न सिर्फ यूरोप बल्कि पूरी दुनिया पर तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बढ़ गया है। चीन का इतिहास है कि अपनी विस्तारवादी नीति के चलते वह किसी भी देश को कुचलने में जरा भी संकोच नहीं करता। दूसरी तरफ रूस यूक्रेन संग युद्ध के चलते यूरोप समेत तमाम देशों के प्रतिबंध झेलकर पहले ही बिदका हुआ है। ऐसे में दुनिया की दो बड़ी शक्तियां रूस और चीन के बीच सैन्य नजदीकी दुनिया के सामने बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। जापान ने भी इस पर चिंता व्यक्त की है कि रूस और चीन के बीच सैन्य संबंध बड़ा खतरा हो सकता है।

जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने रूसी और चीनी सैन्य सहयोग के बारे में चिंता व्यक्त की और कहा कि मॉस्को के यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के बाद से यूरोप में सुरक्षा स्थिति को भारत-प्रशांत क्षेत्र से अलग नहीं किया जा सकता है। स्वीडन में यूरोपीय और इंडो-पैसिफिक विदेश मंत्रियों की एक बैठक में बोलते हुए, हयाशी ने कहा कि यूक्रेन में रूस के युद्ध ने “अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव को हिला दिया है”। हयाशी ने कहा, “इसी तरह की चुनौतियां अन्य क्षेत्रों में उत्पन्न होंगी और मौजूदा व्यवस्था जिसने हमारी शांति और समृद्धि को मजबूत किया है, इसे झटका लग सकता है।”
यूक्रेन का हितैषी जापान
जापान रूस और यूक्रेन महायुद्ध में यूक्रेन का समर्थन करता है लेकिन दूसरी तरफ चीन ने मास्को से अपनी “नो लिमिट” संबंध घोषित करते हुए खुद को तटस्थ जरूर बताया लेकिन, कई मौकों पर संघर्ष को भड़काने के लिए अमेरिका और नाटो को दोषी भी ठहराया है।
चीन की चालबाजी
एक तरफ जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने मार्च में यूक्रेनी राजधानी कीव का दौरा किया। उसी समय चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मास्को में रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। हयाशी ने बीजिंग पर पूर्व और दक्षिण चीन सागर में यथास्थिति को बदलने और ताइवान के आसपास अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ाने के लिए “अपने एकतरफा प्रयासों को जारी रखने और तेज करने” का आरोप लगाया। हयाशी ने कहा, “चीन और रूस अपने सैन्य सहयोग को मजबूत कर रहे हैं, जिसमें उनके बमवर्षकों की संयुक्त उड़ानें और जापान के आसपास संयुक्त नौसैनिक अभ्यास शामिल हैं।”
चीन और रूस की नो लिमिट साझेदारी
मार्च में चीनी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। दोनों शीर्ष नेताओं ने एक कार्यक्रम में मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच नो लिमिट साझेदारी की बात सामने आई। हालांकि दोनों देशों की तरफ से सफाई भी आई कि नो लिमिट का मतलब एक-दूसरे को सैन्य मदद देते हुए मजबूत करना है। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने साझेदारी के जरिए विकास में अभूतपूर्व मदद का वादा भी किया।