एग्जाम में धांधली को लेकर SSC के खिलाफ हजारों युवाओ का ‘हल्लाबोल’

जहां एक ओर देश में रोजगार को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कर्मचारी चयन आयोग यानि कि एसएससी की पारदर्शिता सवालों के कठघरे में है. दिल्ली में एसएससी दफ्तर के सामने हजारों युवा छात्र कंबाइड ग्रेजुएट लेवल टियर 2 की परीक्षा में धांधली को लेकर पिछले 72 घंटे से धरना दे रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि 17-22 फरवरी तक हुई परीक्षा का पर्चा पहले ही लीक हो चुका था. इनकी मांग है परीक्षा रद्द करके सीबीआई जांच कराने की है.

छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल ने जब एसएससी चेयरमैन से मुलाकात की तो उन्होंने कहा कि छात्र पहले ठोस सबूत जुटा कर दें, उसके बाद हम कोई कार्रवाई कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि मै अपने स्तर पर सीबीआई जांच मांग का फैसला नहीं कर सकता हूं. अब सवाल ये उठता है कि छात्रों का काम पढ़ाई करना है या ठोस सबूत जुटाना? जांच का काम जांच एजेंसी करेंगी या छात्र खुद करें?

बता दें कि कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल एग्जाम टियर 2 में 1,89,843 प्रतियोगी छात्र शामिल हुए थे. देश के अलग-अलग केन्द्रों पर 17-22 फरवरी के बीच ऑनलाइन परीक्षा हुई थी. आरोप है कि जब छात्र एग्जाम दे कर बाहर आए तो पता चला कि परीक्षा का पर्चा सोशल मीडिया पर पहले ही लीक हो चुका है. सोशल मीडिया पर एग्जाम पेपर के स्क्रीन शॉट पहले से ही मौजूद थे. एसएससी दफ्तर के बाहर हजारो छात्र उसी लीक पेपर का फोटो कॉपी लहराकर सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.

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चयन आयोगों के चक्रव्यूह में फंसकर युवा बर्बाद हो रहा है लेकिन अभी तक किसी भी राजनीति दल ने ये जहमत नहीं उठाई है कि इन युवाओं की शिकायतों को सुन कर उनका हल निकाला जाए. देश भर के कई हिस्सो में छात्र लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन ऐसा लगता है कि चयन आयोग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है और वो चैन की नींद सो रहा है. आज एबीपी न्यूज़ आपको चयन आयोगों की नाकामी और प्रतिभागी युवाओं की परेशानियों को पूरे तफ्तीश से बता रहा है.

क्या है मामला-

देश भर के हजारों युवाओं ने एसएससी पर पर्ची लीक होने और नकल का आरोप लगाया है. इस पूरे मामले को इस तरह से समझिए. हिंदुस्तान में एक बेरोजगार पहले नौकरी के लिए भर्ती खुलने का इंतजार करता है. भर्ती का विज्ञापन निकलता है तो 1000-2000 रुपए का फॉर्म खरीदता है. भर्ती परीक्षा हो जाए तो पता चलता है कि पेपर पहले से लीक हो गया. पेपर लीक होने के कारण परीक्षा निरस्त कर दी जाती है. परीक्षा दोबारा भी हो जाए तो मामला अदालत में चला जाता है. अदालत से भी इंसाफ मिल जाए तो ज्वाइनिंग लेटर देने में चयन आयोग नाकों चने चबवा देते हैं. और इस तरह एक युवा की नौकरी करने में आधी उम्र नौकरी पाने की लड़ाई में बीत जाती है. ऐसा लगता है कि चयन आयोगों ने एक ऐसा चक्रव्यूह बना दिया है जिसमें युवा फंस कर बर्बाद हो रहा है. योग्य होने के बाद भी वो दफ्तरों, न्यायालयों और अधिकारियों के चक्कर काट रहा है.

देश में क्या है रोजगार की स्थिति

देश में अलग अलग 73 विभागों की रिसर्च करके हमने पाया कि देश के 73 विभागों में 20 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं. अगर देश के रोजगार दफ्तरों की बात करें, जिनकी जिम्मेदारी है युवाओं को नौकरी दिलाना श्रम मंत्रालय के सिर्फ 2015 के दिए गए आंकड़ों को खंगालने पर पता चला कि देश के 997 रोजगार दफ्तरों में नौकरी की जानकारी के लिए जब 4 करोड़ 49 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया तो देश के रोजगार दफ्तर सिर्फ दो लाख 54 हजार लोगों को नौकरी दिलाने में कामयाब हो पाए. यानी 2015 में देश के रोजगार दफ्तर एक फीसदी से कम बेरोजगारों को नौकरी दिला पाए.

वहीं कर्मचारी चयन आयोग में कर्मचारियों की संख्या भी बेहद कम है. यूपीएससी, जिसकी परीक्षाओं में धांधली की शिकायतें बेहद कम हैं, उस यूपीएससी में 39 लाख आवेदन आते हैं और यहां पर 2000 कर्मचारी हैं. जबकि कर्मचारी चयन आयोग में 2 करोड़ आवेदन आते हैं, लेकिन यहां कर्मचारियों की संख्या सिर्फ 500 हैं. कर्मचारी तो छोड़िए चयन आयोगों में चेयरमैन भी सरकारें भर्ती नहीं कर पा रही हैं.

 
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