16 दिसंबर की वो काली रात को याद कर आज भी कांप जाती हैं रूह, निर्भया लगा रही थी हैवानों से गुहार और….

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म को आज आठ वर्ष पूरे हो गए हैं। 16 दिसंबर 2012 की रात सड़क पर दौड़ रही बस में एक जिंदगी चीख रही थी..वो हैवानों से गुहार लगा रही थी अपनी जान बख्शने के लिए, लेकिन 6 दरिंदों को तरस नहीं आया। उन्होंने कुछ ऐसा किया जिससे सुनकर पूरी दुनिया रो पड़ी।


उस लड़की के साथ दरिंदों ने न सिर्फ दुष्कर्म किया बल्कि उसके जिस्म के साथ वो खिलवाड़ किया, जिसे सुनकर देश भर के लोग सिहर उठे। दरिंदों ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसे निर्वस्त्र हालत में चलती बस से नीचे फेंक दिया था।

वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था। दरिंदों ने उसके साथ भी मारपीट की और उसे भी बस से फेंक दिया था। इसके बाद पीड़िता को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने जब निर्भया (बदला नाम) की हालत देखी तो वो भी रो पड़े। उनका कहना था कि आज तक उन्होंने हैवानियत की इस तरह की तस्वीर कभी नहीं देखी। निर्भया की हालत देखकर उनकी रूह भी कांप उठी।

इलाज चला, लेकिन हालत में कुछ सुधार नहीं होने की वजह से 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर भेजा गया। वहां इलाज के दौरान पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई। 29 दिसंबर को निर्भया ने रात करीब सवा दो बजे दम तोड़ दिया था। पीड़िता की मां ने बताया था कि वह आखिरी दम तक जीना चाहती थी।

18 दिसंबर 2012 को दिल्ली पुलिस ने चारों दोषियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार किया। 21 दिसंबर को मामले में एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे दोषी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया था।

मामले में छह में से चार दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा व अक्षय कुमार सिंह को इसी साल 20 मार्च की सुबह फांसी दी जा चुकी है। एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमा शुरू होने के बाद जेल में खुदकुशी कर ली थी। वहीं नाबालिग आरोपी को तीन साल की सजा के बाद 2015 में सुधार गृह से रिहा किया जा चुका था।
 

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