पढ़िए प्यार की ऐसी दास्तान जो 14 फरवरी को ही एक अलग ही अंदाज में हुई शुरू
14 फरवरी 2016 को चंडीगढ़ में कॉमन फ्रेंड की शादी में हुई छोटी सी मुलाकात कब प्यार में बदल जाएगी, इसका अहसास शायद उन्हें भी नहीं था। लेकिन, इसके बाद शुरू हुआ बातों और मुलाकातों का सिलसिला चंद महीने बाद ही शादी की दहलीज पर पहुंच गया।
शौर्य बताते हैं कि गीत को देखते ही उन्हें उनसे प्यार हो गया था। घर तो लौट आए पर गीत से फिर मिलने की इच्छा जाग उठी। फेसबुक पर उन्होंने गीत को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी। इसके बाद दोनों ने मैसेंजर के जरिये बातचीत शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि फिर हमने मिलने का फैसला किया। जब भी समय मिलता गीत से मिलने चंडीगढ़ पहुंच जाता। 25 सितंबर को गीत का जन्मदिन था। शौर्य उन्हें कैंडल लाइट डिनर पर ले गए और प्रपोज कर दिया। इस पर गीत ने भी हां कर दी।
वो बताते हैं कि घरवाले मेरी शादी के लिए लड़की देख रहे थे, मैंने उन्हें गीत के बारे में बताया। घरवाले जब उससे मिले तो उन्हें भी गीत काफी पसंद आई। आठ नवंबर को प्री वेडिंग पार्टी हुई। 27 फरवरी 2017 को हमने शादी कर ली। वहीं, गीत बताती हैं कि शौर्य के साथ उनकी काफी अच्छी ट्यूनिंग है, वह मेरे अच्छे दोस्त भी हैं। उन्होंने कभी पति वाला रौब गालिब नहीं किया। कुछ दिन बाद हमारी शादी के एक साल पूरे होने वाले हैं।
मुलाकात से शादी तक पहुंचा प्यार
सच्चे प्यार से गिराई जाति की दीवारपनियां में फार्मेसिस्ट योगेश कन्नौजिया और धूनाघाट में फार्मेसिस्ट मीनू राणा का प्यार के बाद वैवाहिक जीवन बेहतरीन समन्वय की मिसाल है, मगर इस मुकाम तक आने के लिए उन्हें कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ा।
प्यार और अंतरजातीय विवाह के बीच अड़चन बने परिवार एवं समाज को इसे स्वीकारने और अनुमति देने में काफी वक्त लगा। अंत में उनके सच्चे प्यार ने सभी बाधाएं पार की और दोनों परिणय सूत्र में बंधने के बाद सफल वैवाहिक जीवन जी रहे हैं।
फार्मेसिस्ट योगेश कन्नौजिया का कहना है कि साक्षरता बढ़ने के बावजूद अंतरजातीय विवाह को लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में अब भी समझ नहीं बन सकी है। परिवार के लोगों को राजी करने की चुनौती से लेकर सामाजिक मान्यता इसकी राह में रोड़े पैदा करती है। अंतरजातीय विवाह से पहले के चार वर्षों तक उन्हें हर दिन एक नई परीक्षा से गुजरना पड़ा। परिवार, गांव और समाज से उनके फैसले पर सवाल उठते रहे, मगर उन्होंने हर परिस्थिति का धैर्यपूर्वक मुकाबला किया और अंतत: उनके प्यार और हिम्मत की जीत हुई।
उनके इरादे और सच्चे प्यार को परिवार ने मान देते हुए आखिरकार स्वीकारा। लोहाघाट निवासी कन्नौजिया बताते हैं कि 16 मई 2010 को परिवार की मौजूदगी में ऊधमसिंह नगर जिले की मीनू राणा से घोड़ाखाल मंदिर में विवाह किया और तबसे अब तक सुखमय वैवाहिक जीवन जी रहे हैं। दोनों परिवारों के लोग विवाह को सहज रूप से स्वीकारते हैं। उनका एक बेटा है।
योगेश कन्नौजिया और मीनू राणा का कहना है कि अंतरजातीय विवाह सामाजिक एकता और समरसता को भी ताकत देता है। दो अलग-अलग जातियों को करीब लाने में इससे मदद मिलती है। उनका प्रेम और विवाह इसकी तस्दीक करता है। उनके विवाह के कुछ वर्षों बाद उनके ही परिवार में एक और अंतरजातीय विवाह हो चुका है।
दो साल से नहीं मिली अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन राशि