Ramazan 2019: इंसानों के हर दर्द हर दुःख को समझता है ये रमजान का महिना

रमजान का मुबारक महीना रहमतों और बरकतों वाला है। यह महीना हमें बुराइयों से दूर रखता है। रोजे के दौरान खुद को खुदा की राह में इबादत के लिए लगाना और पाक महीना माह-ए-रमजान न सिर्फ रहमतों और बरकतों की बारिश करता है। बल्कि समूची इंसान की कौम को प्यार, भाईचारे और इंसानियत का भी पैगाम देता है। इस रमजान के पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों पर रहमतों का खजाना लुटाता है। 

 

 

रोजा सब्र का नाम है। हमें रमजान के पाक महीने में एक-दूसरे के साथ मुहब्बत का पैगाम देकर इंसानियत मजबूत करनी चाहिए। रोजा रखें, नमाज पढ़ें, इससे ईमान मजबूत होता है। गरीबों को खाना खिलाकर हम दुआएं हासिल करें। रमजान का यही मकसद और पैगाम है कि सब मुहब्बत और भाईचारे के साथ रहें। सिर्फ खाने-पीने का ही परहेज नहीं है, बल्कि गलत बोलने और सुनने पर भी पाबंदी है। ऐसे में रोजा रखकर हम फर्ज अदा करते हैं तो सवाब भी कमाते हैं। अल्लाह और उसके प्यारे नबी हजरत मुहम्मद साहब पर यकीन रखते हुए हमें रोजे रखने चाहिए। 

जामिया दारूस सलाम पांचली बुजुर्ग के मोहतमिम मौलाना यूसुफ मसूद कासमी ने हदीस के हवाले से बताया कि रोजे रखने का असल मकसद महज भूख-प्यास बर्दाश्त करना नहीं है। बल्कि रोजे की रूह दरअसल नफ्स पर काबू, अल्लाह के तरीके पर अकीदत और सही राह पर चलने के इरादे पर मुस्तैदी से अमल में बसती हैं। हर तरफ झूठ, मक्कारी, अश्लीलता और बदकारी का बोलबाला हो चुका है। ऐसे में इंसानियत की कौम अपनी नफ्स पर काबू पाने का पैगाम देने वाले रोजे का रुतबा और भी बढ़ जाता है। रोजे के दौरान झूठ बोलने, चुगली करने, किसी पर बुरी निगाह डालने एवं हर छोटी से छोटी बुराई से दूर रहना जरूरी है।

मदरसा इस्लामिया अरबिया मिफ्ताह उल उलूम दमगढ़ी के कारी गुलसनव्वर ने रमजान की फजीलतों (महत्व) के बारे में कहा कि आमतौर पर साल के ग्यारह महीने तक इंसान दुनियादारी के मसलों फंसा रहता है। लिहाजा अल्लाह ने रमजान का महीना सादगी के साथ इबादत के लिए तय किया है। 

उन्होंने बताया कि रमजान के मायने संपन्न लोगों को भूख-प्यास का अहसास कराकर पूरी कौम को अल्लाह ताआला के करीब लाकर नेक राह पर डालना है। मदरसा फैज महमूद खिवाई के मोहतमिम मौलाना मैराज कासमी ने बताया कि रमजान का महीना सबसे बड़ी आसमानी किताब यानी कुरान शरीफ को दुनिया पर नाजिल किया था। रहमत और बरकत के नजरिये से रमजान के महीने को तीन हिस्सों (असरों) में बांटा गया है। इस महीने के पहले दस दिनों में अल्लाह अपने रोजेदार बंदों पर रहमतों की बारिश करता हैं। दूसरे असरे में अल्लाह रोजेदारों के गुनाह माफ करता है और तीसरा असरा दोजख की आग से निजात पाने की इबादत के लिए तय किया गया हैं।

 

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