बिहार में कर्नाटक मामले के राजद विधायकों का राजभवन मार्च

पटना। कर्नाटक में सरकार बनाने के मुद्दे पर जारी रस्साकशी के बीच राजद ने भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया है। राजद की मांग है कि राज्‍यपाल कर्नाटक की तर्ज पर बिहार में भी पार्टी को सरकार बनाने का मौका दें। पार्टी ने कर्नाटक के मुद्दे पर शुक्रवार को राजधानी सहित पूरे बिहार में धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया है। इस बाबत नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव के आवास पर बैठक हुई। बिहार में कर्नाटक मामले के राजद विधायकों का राजभवन मार्च

तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के तीनों घटक दल राजद, कांग्रेस एवं हम के विधायक सबसे पहले एक बजे राजभवन जा रहे हैं। यहां राज्‍यपाल से मुलाकात के बाद आयोजित राजव्‍यापी धरना में श‍ामिल होंगे। इधर राजद के अन्य नेता एवं पदाधिकारियों का धरना 11 बजे से शुरू हो चुका है।

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने गुरुवार को कहा कि अगर कर्नाटक के राज्यपाल सबसे बड़े दल होने के आधार पर भाजपा को सरकार बनाने का मौका दे सकते हैं, तो उसी आधार पर बिहार में राजद को यह मौका क्यों नहीं मिलना चाहिए? तेजस्वी शुक्रवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर यह दावा भी पेश करेंगे। पार्टी ने सभी विधायकों को आनन-फानन में पटना पहुंचने का निर्देश दिया गया है। कांग्रेस के विधायक भी पटना बुलाए गए हैं। हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी भी इसमें शामिल होंगे। राजद, कांग्रेस और हम के 108 विधायक राजभवन मार्च की तैयारी में हैं।

राजद उपाध्‍यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कर्नाटक के राज्यपाल पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा त्रिशंकु विधानसभा होने पर सबसे पहले चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए। अगर उसके पास बहुमत नहीं है तो चुनाव बाद बनने वाले गठबंधन को बुलाया जाना चाहिए। अगर दोनों के पास बहुमत नहीं है तो सबसे बड़ी पार्टी को मौका देना चाहिए। किंतु कर्नाटक में यह नहीं हुआ।

एसआर बोम्मई केस का हवाला देते हुए रघुवंश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि त्रिशंकु विधानसभा होने पर सबसे पहले चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए। अगर उसके पास बहुमत नहीं है तो चुनाव बाद बनने वाले गठबंधन को बुलाया जाना चाहिए। अगर दोनों के पास बहुमत नहीं है तो सबसे बड़ी पार्टी को मौका देना चाहिए। किंतु कर्नाटक में यह नहीं हुआ।

डॉ. रामचंद्र पूर्वे, आलोक मेहता एवं चितरंजन गगन ने कर्नाटक में भाजपा सरकार की शपथ दिलाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि कर्नाटक की सियासी घटना संवैधानिक और संसदीय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। राजद नेताओं ने कहा कि गोवा, मणिपुर और मेघालय में सबसे बड़े दल नहीं होने के बावजूद चुनाव बाद गठबंधन के आधार पर भाजपा ने सरकार बनाई तो बिहार में क्यों नहीं। बिहार में सबसे बड़े दल को आमंत्रित न कर उस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसके एक घटक को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला था।

राजभवन मार्च के पहले धरने पर बैठे विपक्षी विधायक

तीनों दलों के विधायक दोपहर एक बजे राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलने की कोशिश में हैं। राजभवन से समय मांगा गया है। तेजस्वी का दावा है कि उन्हें समय भी मिल गया है। इसके पहले राजद के नेता-कार्यकर्ता राजधानी के गर्दनीबाग में एकदिवसीय धरना पर बैठे हैं। 
बिहार में राजद के पास अभी 80 और कांग्रेस के 27 विधायक हैं। हम से एकमात्र जीतनराम मांझी विधायक हैं। तीनों दलों के 108 विधायक राजभवन के सामने शुक्रवार को दोपहर एक बजे मार्च निकालेंगे। ये विधायक सूबे में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल से राजद को आमंत्रित करने की अपील करेंगे।

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