बसपा ने कांग्रेस पर बोला हमला, कहा- मां की तरह विदेशी हैं राहुल गांधी, नहीं हो सकते पीएम प्रत्याशी

महागठबंधन होने से पहले ही पार्टियों में बिखराव की स्थिति नजर आ रही है। एक खबर के मुताबिक बसपा ने कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भी अपनी मां सोनिया गांधी की तरह विदेशी हैं।

वहीं इसके बाद भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट किया है। संबित ने कहा कि -महाठगबंधन का निर्माण होने से पहले की स्तिथि देखिए.. “बीएसपी का साफ कहना है की चूंकि राहुल गांधी अपने पिता से अधिक अपने मां जैसे दिखते है और सोनिया जी विदेशी मूल की है इसलिए राहुल जी कभी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हो सकते है! उन्होंने कहा कि ये तो अभी शुरुआत है। आगे-आगे देखते जाइए होता है क्या..मायावती को भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है

बसपा ने लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के अंदर पार्टी सुप्रीमो मायावती को भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है। सोमवार को यहां बसपा के काडर कैंप में नेशनल कोऑर्डिनेटर व सांसद वीर सिंह व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश सिंह ने जोर देकर यह बताने का प्रयास किया कि आज के समय में सीटों की संख्या ज्यादा मायने नहीं रखती है। कम सीट पाने वाले मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनते रहे हैं।
जय प्रकाश ने कहा कि पहले ज्यादा सीट वालों की ही सरकार बनती थी लेकिन कांशीराम जी के समय से इसमें बदलाव आ गया। यह कांशीराम ही थे कि 67 वाली बसपा की सरकार बनी और 150 वाली भाजपा यूपी में ताकती रह गई। झारखंड में एक सीट वाले मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बने और 42 वाले फेल हो गए। कर्नाटक में बसपा के पास एक ही सदस्य था लेकिन सरकार उसकी बनी जिसे बहनजी ने चाहा। आज बसपा सदस्य भी मंत्री है।

पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न करीब 4 बजे तक चले काडर कैंप में दोनों जिम्मेदार नेताओं ने सर्वसमाज को जोड़ने और 2019 के चुनाव में मायावती को पीएम बनाने को लेकर खूब बातें की। पर, समाजवादी पार्टी से गठबंधन को लेकर कुछ नहीं कहा। जेपी ने कहा कि बहनजी सही समय पर फैसला लेंगी। संगठन को किसी भी परिस्थिति को ध्यान में रहकर चुनाव की तैयारी करने का निर्देश दिया। हालांकि कानपुर के जोन इंचार्ज व एमएलसी भीमराव अंबेडकर ने कहा कि इस बार सपा-बसपा के गठबंधन की चर्चा सुनकर ही दूसरे दलों की हालत खराब होने लगी है। 1993 की तरह मिले मुलायम-कांशीराम वाला नारा लोगों को याद आने लगा है।

 

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