उपचुनाव नतीजे: कैराना में आरएलडी और नूरपुर विधानसभा सीट पर सपा आगे

कैराना लोकसभा और नूरपुर की विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं। शुरुआती रूझानों के अनुसार नूरपुर में अब सपा आगे चल रही है। जबकि कैराना में आरएलडी आगे है।  उपचुनाव नतीजे: कैराना में आरएलडी और नूरपुर विधानसभा सीट पर सपा आगे

कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधान सभा सीट के उप चुनाव में उम्मीदवारों की किस्मत पर आज फैसला हो जाएगा। कैराना की सियासत का ताज कैराना की बेटी (मृगांका सिंह) या बहू (तबस्सुम हसन) में से किसके सिर सजेगा, यह फैसला आज हो जाएगा। 

नूरपुर में भाजपा प्रत्याशी अवनी सिंह, सपा प्रत्याशी नईमुल हसन और लोकदल प्रत्याशी गौहर इकबाल में मुकाबला है। कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह और नूरपुर में भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान के निधन के कारण उपचुनाव हो रहे हैं। 

कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव पर देश के राजनीतिक दलों की निगाहें हैं। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे इस चुनाव की नतीजे देश की सियासत को नया संदेश देने वाले हैं। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव से विपक्षी दलों का गठबंधन बना। 

कैराना उपचुनाव में गठबंधन की तरफ से मुस्लिम प्रत्याशी सपा विधायक नाहिद हसन की मां तबस्सुम हसन को रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ाया और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए नए समीकरण की परख की गई। रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी लगातार जाट बिरादरी के बीच पकड़ बनाने में लगे रहे।

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बिखरे जाट- मुसलिम समीकरण को फिर से मजबूती मिली है या नहीं, यह परिणाम से स्पष्ट होगा। भाजपा ने भी कैराना लोकसभा सीट को प्रतिष्ठा से जोड़कर रखा, तभी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा क्षेत्र में चुनावी जनसभाएं कीं, तो भाजपा के कई मंत्री, सांसद, विधायकों के अलावा आरएसएस की टीमें भी चुनाव प्रचार में लगाई गई थीं। 

पूर्व सांसद हुकुम सिंह का निधन होने से रिक्त हुई कैराना लोकसभा सीट पर सहानुभूति की हवा को देखते हुए भाजपा ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को ही प्रत्याशी बनाया था। भाजपा नेताओं ने मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगा, कैराना पलायन का मुद्दा भी जोर शोर से उठाया था।

इसके अलावा मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगे के मुकदमों की वापसी के विरोध को भी मुद्दा बनाया गया था, ताकि जाट बिरादरी के मतदाताओं का रुझान भाजपा की तरफ रहे। 

खूब चला जोड़ तोड़ का प्रयास 
वैसे तो चुनावी मैदान में कुल 12 प्रत्याशी उतरे थे, लेकिन जैसे जैसे मतदान नजदीक आया, तो जोड़तोड़ का खेल प्रारंभ हो गया था। एक तरफ राकेश सैनी और प्रीति कश्यप ने भाजपा का समर्थन कर दिया था, तो लोकदल प्रत्याशी कंवर हसन ने रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी से मुलाकात होने के बाद रालोद प्रत्याशी को समर्थन दे दिया था। चूंकि हसन परिवार के दो सदस्य आमने सामने आ गए थे, इसके लए चुनावी जंग में कंवर हसन को अपने समर्थन में लेकर रालोद ने सबको चौंका दिया था।
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