पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने रद्द किया कर्मचारियों को पक्का करने का फैसला

चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें कॉन्ट्रैक्ट पर चल रहे स्टाफ को नियमित किया गया था। कोर्ट ने कहा है कि यह फैसला केवल वोटरों को लुभाने के लिए किया गया था। साथ ही कोर्ट ने नौकरशाहों को हिदायत दी है कि वे अपने ‘राजनीतिक बॉस’ को खुश करने के लिए अवैध कार्यों में भागी न बनें। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने रद्द किया कर्मचारियों को पक्का करने का फैसला

कोर्ट ने सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई है और इसे अवैध नीति बताते हुए कहा है कि इसके कारण गैरजरूरी विवाद हुआ है। कोर्ट ने ऐसी नीतियां चुनाव से ठीक पहले वोटरों को लुभाकर राजनीतिक फायदा लेने के लिए बनाने पर राजनेताओं को आड़े हाथों लिया। 

जस्टिस राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला देते हुए कहा कि जब तक इस तरह की गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी, यह प्रक्रिया नहीं रुकेगी। बेंच ने कहा कि सीनियर अफसरों से उम्मीद की जाती है कि वे कानून के हिसाब से कोई बात न होने पर मजबूती से उसे कहेंगे। बेंच ने कड़े शब्दों में कहा कि अफसरों को सिर्फ अपने राजनीति बॉस को खुश करने के लिए कानून का उल्लंघन करने वाले किसी कार्य से नहीं जुड़ने चाहिए। 

बेंच ने कहा कि कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का फैसला वोटरों को लुभाने के लिए लिया गया था, जिसके लिए संविधान में ही गई योजनाओं और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को दरकिनार कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि पहले भी लिए गए ऐसे फैसलों को सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग मामलों में गलत बताया है। 

कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अपनी पहले की नीतियों में कहा है कि भविष्य में कॉन्ट्रैक्ट पर कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी और अगर ऐसा किया गया तो संबंधित अधिकारियों पर अनुशास्नात्मक कार्रवाई की सकती है। इसके बाद भी राज्य ने अवैध तरीके से नियुक्ति करने की कोशिश की लेकिन फिर भी किसी अधिकारी के खिलाफ नीतियों के उल्लंघन के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

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