कन्नौज की बिटोली देवी की बात सुन कुछ यूँ PM मोदी को याद आया अपना बचपन

लखनऊ। कन्नौज जिले के बरौली गांव की बिटोली देवी ने जब गांव में बिजली न होने से पहले के जटिल हालात बयां किए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने वो दिन याद आ गए जिनसे वह कभी खुद जूझे थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग पर प्रधानमंत्री से रूबरू बिटोली ने बताया कि वर्ष 2016 में जब हमारे गांव में बिजली आई तब जीने का तरीका बदल गया। पहले अंधेरा होते ही लोग घरों में दुबक जाते थे। बच्चे दीपक की रोशनी में पढ़ते थे। सूरज ढलने से पहले ही खाना बन जाता था। यह बात सुन मोदी भावुक हो गए। बोले, उन्हें अपने बचपन की याद आ गई। वह भी मिट्टी तेल के डिबेला (डिबरी) से पढ़ाई करते थे। उन्होंने भी इस तरह की परेशानियां झेली हैं।कन्नौज की बिटोली देवी की बात सुन कुछ यूँ PM मोदी को याद आया अपना बचपन

गुरुवार को प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सौभाग्य योजना और पंडित दीन दयाल उपाध्याय विद्युतीकरण के लाभार्थियों से बात की। उन्होंने ग्रामीणों की जुबानी हकीकत जानने के लिए दिल्ली से उड़ीसा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश के कन्नौज और सीतापुर के ग्रामीणों से रूबरू हुए।

गांव में बिजली न होना सबसे बड़ी समस्या थी

कन्नौज जिले के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) में मौजूद ग्रामीणों में शामिल बिटोली देवी ने बताया कि गांव में बिजली न होना सबसे बड़ी समस्या थी। वर्ष 2016 में उन्हें कनेक्शन मिला। इससे पहले शाम ढलते ही सांप-बिच्छू का डर रहता था। दीपक की रोशनी में सभी काम करते थे। इसके लिए भी कभी कभी मिट्टी का तेल नहीं मिल पाता था। सौभाग्य योजना के तहत मुफ्त कनेक्शन दिए गए। प्रधानमंत्री से संवाद के लिए 21 लोग आए थे, लेकिन उन्होंने सिर्फ बिटोली देवी से ही बात की।

मोदी की जुबां पर नहीं आया कन्नौज का नाम

जम्मू कश्मीर के बाद प्रधानमंत्री ने कन्नौज के गांव बरौली के ग्रामीणों से संवाद तो किया, लेकिन उन्होंने कन्नौज का नाम नहीं लिया। बोले, अब हम उत्तर प्रदेश से बात करते हैं। इसके बाद वह जिले की एनआइसी में बैठे बरौली के ग्रामीणों से जुड़ गए। इस दौरान एलइडी स्क्रीन पर भी जिले का नाम नहीं था।

पीएम ने कहा, हमें जाना है…सीतापुर को नमस्ते

प्रधानमंत्री पं. दीनदयाल उपाध्याय सौभाग्य योजना में चयनित सीतापुर जिले के भरथा गांव के लोगों से भी रूबरू हुए। हालांकि लोगों की उनसे संवाद की अभिलाषा पूरी नहीं हो सकी। प्रधानमंत्री ने भी इसे बखूबी समझा। उन्होंने वक्त का हवाला देकर कहा कि सदन चल रहा है, हमें जाना है…सीतापुर को नमस्ते। ग्रामीणों के मन में यह मलाल तो जरूर था कि वे बात नहीं कर पाए लेकिन, प्रधानमंत्री के अभिवादन ने उन्हें अभिभूत कर दिया।

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