PM मोदी ने भोजपुरी में की भाषण की शुरुआत, बोले- संत कबीरदास की नगरी में आकर प्रसन्न हूं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संत कबीर दास की महापरिनिर्वाण स्थली मगहर में हैं।  मगहर पहुंच कर उन्होंने सबसे पहले कबीर को नमन किया और उनकी समाधि पर चादर भी चढ़ाई। इससे पहले पीएम सुबह 9:55 बजे विशेष विमान से अमौसी एयरपोर्ट लखनऊ पहुंचे और उसके बाद विशेषदल के साथ मगहर पहुंचे। उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद हैं।PM मोदी ने भोजपुरी में की भाषण की शुरुआत, बोले- संत कबीरदास की नगरी में आकर प्रसन्न हूं

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि कबीर साहब के सपनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साथ लेकर चल रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज भारत में हर क्षेत्र के विकास का विश्वास जगा है, आज हर गरीब को सिर ढकने के लिए आवास देने का काम किया जा रहा है। सीएम ने कहा कि स्वच्छता को बढ़ावा देते हुए एक साल के अंदर प्रदेश में 72 लाख से भी ज्यादा शौचालय का निर्माण किया गया है।
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पीएम मोदी का पूर्वांचल का यह दौरा एक तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को सियासी संदेश देने के साथ दलितों और पिछड़ों को भाजपा के पक्ष में लामबंद करके सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश का हिस्सा भी नजर आता है। संकेत यह भी है कि मगहर के जरिये मोदी, मायावती सहित गैर भाजपाई दलों पर निशाना साधेंगे। मोदी लगभग ढाई घंटे मगहर में रहेंगे। भाजपा सरकार पहले ही मगहर को महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा कर चुकी है। अकादमी के शिलान्यास के अलावा मगहर में कबीर शोध संस्थान, पार्क और पुस्तकालय जैसे कामों की शुरुआत भी होगी।

दरअसल, उत्तर प्रदेश में ही नहीं देश के कई राज्यों में कबीर पंथियों की अच्छी तादाद है। इनमें ज्यादातर पिछड़े और दलित हैं। मुस्लिमों के भी एक तबके में कबीर की काफी स्वीकार्यता और मान्यता है। भाजपा की रणनीति गैर भाजपा सरकारों की मगहर की अनदेखी को धार देने की है। खासतौर से दलितों और पिछड़ों को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कबीर के अनुयाइयों के वोट लेने वाले गैर भाजपाई दलों ने कबीर की निर्वाण स्थली की सुध न लेकर यह साबित कर दिया कि उन्हें सिर्फ वोट लेना आता है, काम करना नहीं। 

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते भी हैं कि पीएम मोदी के मगहर दौरे से इस ऐतिहासिक स्थल के दिन बहुरेंगे। पिछली सरकारों ने संत कबीरदास की निर्वाण स्थली को कभी तवज्जो नहीं दी। कबीरदास ने जीवन के अंतिम दिन मगहर में बिताकर यह अंधविश्वास तोड़ने की कोशिश की कि वहां मरने वाला नरक में जाता है पर, अंधविश्वासों को तोड़ने के लिए इतना बड़ा काम करने वाले संत के सरोकारों का भी गैर भाजपा सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। इस ऐतिहासिक स्थल को सजाने, संवारने का काम भाजपा सरकार कर रही है। भाजपा के अलावा कोई दल किसी के सांस्कृतिक सरोकारों का सम्मान नहीं करता।

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