यूपी में प्लास्टिक, थर्मोकॉल पर प्रतिबंध से पड़ेगा अर्थव्यवस्था पर असर
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा प्लास्टिक और थर्मोकॉल के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की संभावना है। हालांकि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सरकार का यह कदम सही है, लेकिन इसके महाराष्ट्र की तरह लागू होने पर भी बड़ा सवाल है।
3 लाख लोग होंगे बेरोजगार
प्लास्टिक इंडस्ट्री एसोसिएशन की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की कुल जीडीपी का 16 फीसदी हिस्सा इस उद्योग के पास है। एसोसिएशन के मुताबिक सरकार के इस कदम से प्रदेश में कम से कम तीन लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
यूपी सबसे बड़ा बाजार
एसोसिएशन के सचिव देवेंद्र पाल सिंह ने amarujala.com को बताया कि उत्तर प्रदेश प्लास्टिक से बने डिस्पोजेबल सामान जैसे की थर्माकॉल प्लेट, गिलास, चम्मच, कटोरी आदि का सबसे बड़ा बाजार है। यहां पर कई लोगों के लिए यह एक तरह का कुटीर उद्योग भी है। वहीं थोक और फुटकर व्यापारियों की संख्या भी बहुत है। इन सभी लोगों की कमाई पर असर पड़ेगा और सरकार को टैक्स के नाम पर होने वाली करोड़ों की कमाई भी प्रभावित होगी।
व्यापारियों का होगा उत्पीड़न
वहीं दूसरी तरफ एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष आर एन गुप्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस कदम से व्यापारियों और उद्यमियों पर उत्पीड़न बढ़ेगा। सरकार की तरफ से निकायों के टैक्स अधिकारी बिना वजह के इन लोगों को परेशान करेंगे और टैक्स वसूलेंगे। इसके साथ ही सामान को भी जब्त करके ले जाएंगे, जिससे ऐसे लोगों को काफी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा। वहीं स्टॉक के मौजूद होने पर या नहीं होने पर भी अधिकारी व कर्मचारी बेवजह छापे मारेंगे, जिससे व्यापारियों को हर वक्त बिना मतलब का डर सताता रहेगा।
2015 से तीन पर लग चुका है बैन
प्रदेश में 2015 से यह तीसरा मौका है जब इस तरह का प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार ने इसके उल्लंघन पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा 19 के तहत पांच साल की सजा या एक लाख रुपये जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान रखा था।