

इससे पहले तक वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर बहता हुआ पानी होने का अंदेशा ही जताया था और पानी के ठोस रूप यानी बर्फ के तौर पर होने के प्रमाण की कई खबरें आ चुकी हैं। जाहिर है लाल ग्रह के नाम से भी जाने जाने वाले मंगल ग्रह पर नई खोजों को लेकर पूरी दुनिया के 40 से ज्यादा मिशन जारी हैं, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का प्रोजेक्ट भी शामिल है।
इस साल अप्रैल महीने में नासा के क्यूरोसिटी रोवर को मंगल ग्रह पर पहुंचे हुए 3 साल पूरे हो गए हैं। नए खुलासे से पहले रोवर ने अपने शोध में पाया था कि मंगल की सतह पर मौजूद मिट्टी में पानी के लक्षण मौजूद हैं। ग्रह की सतह मिली गहरी घाटियों और ऊंची चट्टानों से ये तो निश्चित होता था कि यहां कभी ना कभी पानी मौजूद था, क्योंकि इस तरह की संरचना का निर्माण बिना पानी के संभव नहीं है।
अब स्पष्ट तौर पर माना जा रहा है कि मंगल पर इतना पानी मौजूद है कि काफी संख्या में झील और नदी पानी से भर सकते हैं। जबकि शुरूआती खोजों के दौरान वैज्ञानिक मंगल की सतह को भी चांद की तरह तरह बंजर ही मानते थे। नया खुलासा इसलिए भी बेहद अहम है, क्योंकि पानी का जीवन के होने या ना होने पर बहुत ज्यादा प्रभाव है। अगर मंगल पर पानी है तो वहां जीवन की मौजूदगी की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक नई जानकारियां इस बात का पूरी तरह से समर्थन करती हैं कि मंगल ग्रह के कुछ खास जगहों पर गर्मी के मौसम के दौरान नमकीन पानी की धाराएं बहती हैं। गर्मी के बढ़ने के साथ-साथ ये धाराएं और ज्यादा बड़ी हो जाती हैं और बाकी साल गायब रहती हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें मंग्रह ग्रह हमारे सौर मंडल का चौथा ग्रह है यानी सूर्य की परिक्रमा चौथे नंबर पर करता है। इसका नाम रोम के युद्ध देवता के नाम पर रखा गया है। मंगल की सतह पर मौजूद पर्वतों में लौह की मात्रा काफी ज्यादा होने और धूल भरे वातावरण के कारण ये लाल दिखाई देता है। वहीं, इससे पहले मिली जानाकारियों के मुताबिक मंगल ग्रह के वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा सबसे ज्यादा है और यहां धरती के मुकाबले एक-तिहाई गुरुत्व बल है।