ट्विटर के चीफ टेक्नोलाॅजी ऑफिसर बने पराग अग्रवाल

नई दिल्ली.आईटी सेक्टर में भारत की कामयाबियों में एक नया चैप्टर जुड़ गया है। माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने पराग अग्रवाल को अपना नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) अप्वॉइंट किया है। पराग ने IIT मुंबई से इंजीनियरिंग की है। इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर साइंस में पीएचडी अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से की। वैसे तो पराग छह महीने से इस पोस्ट पर काम कर रहे थे। लेकिन, ट्विटर ने उनके नाम का ऑफिशियल एलान अब किया है। पराग, एडम मेसिंगर की जगह लेंगे जो 2016 के आखिर में कंपनी छोड़ गए थे। मेसिंगर पांच साल तक इस कंपनी में रहे।

ट्विटर के चीफ टेक्नोलाॅजी ऑफिसर बने पराग अग्रवाल

  • बड़ी कंपनियों में काम करने का अनुभव

    – ट्विटर में आने से पहले पराग माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च, याहू रिसर्च और एटीएंडटी लैब्स में भी काम कर चुके हैं। ट्विटर में पराग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर यूजर्स के ट्वीट्स बढ़ाने का काम किया। 
    – बता दें कि ट्विटर इसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से खुद के गलत इस्तेमाल को भी रोकता है। नए रोल में पराग कंज्यूमर और रेवेन्यू प्रॉडक्ट पर भी काम करेंगे। 
    – ट्विटर जल्द ही एक बार फिर से यूजर्स के लिए वेरिफिकेशन के लिए आवेदन लेना शुरू कर सकता है। कंपनी के सीईओ जैक डॉर्सी ने पेरिस्कोप के लाइवस्ट्रीम में कहा है कि कंपनी लोगों के लिए वेरिफिकेशन दिलाने के लिए काम कर रही है।

    कब आए ट्विटर में?

    – पराग ने साल 2011 में टि्वटर ज्वॉइन किया था। उस वक्त वो एड इंजीनियर थे। यहां उन्होंने बेहतरीन परफॉर्म किया। ट्विटर में आने से पहले उन्होंने बड़े पैमाने पर डाटा मैनेजमेंट का काम किया है।

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    ट्विटर में नई शुरुआत

    – पराग एडम मेसिंगर की जगह लेंगे जो 2016 में पांच साल काम करने के बाद इस कंपनी को छोड़ गए थे। 
    – खास बात ये है कि मेसिंगर के ट्विटर छोड़ने के आस-पास ही जॉश मैक्फरलैंड (वाइस प्रेसिडेंट-प्रोडक्ट) भी कंपनी छोड़कर ग्रेलॉक पार्टनर्स में चले गए थे।
    – इसके पहले सीओओ एडन बेन ने भी कंपनी छोड़ी दी थी और उनकी जगह एंटनी नोटो ने ली थी। ट्विटर की 2016 में उस वक्त भी मुश्किलें बढ़ीं थीं जब उसके डायरेक्टर ऑफ मीडिया पार्टनरशिप्स और न्यूज सेक्शन के चीफ एडम शार्प कंपनी छोड़ गए थे। 
    – मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल ट्विटर के लिए ग्रोथ एक बड़ा मुद्दा है। अमेरिका में इसके यूजर्स कम होते जा रहे हैं।

     
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