सरकारी और अर्ध सरकारी बैंकों से करीब 342 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर 20 हजार से अधिक लोग हुए ‘लापता’ 

उत्तराखंड में 20 हजार से अधिक लोग सरकारी और अर्ध सरकारी बैंकों से करीब 342 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर ‘लापता’ हो गए हैं। इनमें से कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें बैंक पिछले पांच साल से तलाश रहे हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।

वहीं खास बात यह है कि प्रदेश में 16 निजी बैंकों के महज 500 डिफॉल्टर कर्जदार हैं। सरकारी बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा की बात करें तो इनके एक साल से कम आरसी पेंडिंग वाले 5133 लोग ढूंढे भी नहीं मिल रहे हैं। इन्होंने बैंकों से 6615.13 लाख रुपये का कर्ज लिया हुआ है। 9258 लोग ऐसे हैं जिनकी आरसी कटे एक से तीन साल का समय हो चुका है, इन पर बैंकों का 13452.75 लाख रुपये बकाया है।

तीन से पांच साल तक की पेंडिंग आरसी वाले 1654 लोगों को 1575.04 लाख रुपये कर्ज चुकाना है। तीनों बैंकों में सबसे अधिक कर्जदार एसबीआई के हैं। नौ अर्ध सरकारी बैंकों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया से सबसे अधिक लोगों ने कर्ज लिया।

इनमें से कई लोग करोड़ों रुपये लेकर लापता हो गए हैं। ग्रामीण बैंक और कॉपरेटिव बैंक के पास भी डिफॉल्टर कर्जदारों की भरमार है। उधर, प्रदेश में संचालित 16 प्राइवेट बैंकों में नैनीताल बैंक और आईडीबीआई बैंक को छोड़ किसी के पास एक भी डिफॉल्टर कर्जदार नहीं है। जानकारों के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकारी बैंक से आरसी कटने के बाद राजस्व विभाग वसूली करता है। जबकि निजी बैंक खुद ही वसूली करते हैं।

उत्तराखंड में बैंकों के डिफाल्टर कर्जदार

बैंक संख्या आरसी ऋण (करोड़ रुपये में)

सरकारी बैंक 03 16,045 216.42

अर्ध सरकारी 09 4688 126.11

निजी बैंक 17 494 19.32

छोटे कर्जदार नहीं चुका पा रहे लोन
सरकारी बैंकों से अधिकांश लोगों ने छोटे कर्ज लिए हैं। इनमें 30 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक की रकम शामिल है। जानकारी के अनुसार काश्तकार, श्रमिक और बेरोजगारों ने यह कर्ज लिया। मगर इसे चुकाने में असमर्थ होने पर उनकी आरसी काट दी गई।

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