अविश्वास प्रस्ताव में नहीं चली विपक्ष की कोई भी चाल, एक बार फिर बाजी मार ले गई BJP

अपनी सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देने की बारी प्रधानमंत्री मोदी की थी. दिन भर चली बहस और अपने ऊपर हुए कटाक्ष पर उसी अंदाज में जवाब देने की उम्मीद भी की जा रही थी, हुआ भी वैसा ही. भले ही अविश्वास प्रस्ताव टीडीपी की तरफ से लाया गया था, लेकिन जवाब देते वक्त मोदी के निशाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ही रहे.

अविश्वास प्रस्ताव में नहीं चली विपक्ष की कोई भी चाल, एक बार फिर बाजी मार ले गई BJPऐसा होना भी तय था, क्योंकि राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान मोदी और उनकी नीतियों पर जोरदार हमला किया था. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को आंख में आंख डालकर बात करने की चुनौती दी थी. राहुल ने ऐसा भ्रष्टाचार पर आरोप लगाते वक्त किया था. लेकिन, मोदी ने इसे अपने ही अंदाज में भुनाने की कोशिश की.

मोदी ने तंज कसते हुए कहा ‘मैं तो गरीब का बेटा हूं, पिछड़ी जाति में पैदा लिया हूं, आप नामदार हैं, हम कामदार हैं, हमारी हिम्मत कहां जो आपसे आंख में आंख डाल कर बात कर सकें. मोदी ने गांधी-नेहरू परिवार पर सीधा वार करते हुए कहा कि जिन-जिन लोगों ने आप लोगों से आंख मिलाने की कोशिश की उनके साथ आपने क्या किया.’ मोदी ने कहा, ‘सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल से लेकर चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर से लेकर प्रणब मुखर्जी और शरद पवार तक सबके साथ गांधी-नेहरू परिवार के लोगों ने क्या-क्या किया.’ मोदी ने राहुल गांधी को परिवार का इतिहास बताकर उनकी बात का जवाब दिया.राहुल गांधी ने अपना भाषण खत्म करने के बाद अचानक सत्ता पक्ष की तरफ जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गले लगाया था. इस कोशिश के जरिए राहुल ने अपनी छवि दिखाने की कोशिश की थी. इस जादू की झप्पी को लेकर भी प्रधानमंत्री ने अपने ही अंदाज में जवाब दिया. मोदी ने इसे राहुल की प्रधानमंत्री के पद पर बैठने की जल्दबाजी से जोड़ दिया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा के भीतर कुछ इसी तरह की हरकतें की थी, जिसपर मोदी को तंज कसने का मौका भी मिल गया. मोदी से गले मिलने के बाद राहुल गांधी ने अपनी सीट पर वापस आकर जिस अंदाज में आंख मारी उसको लेकर उनकी गंभीरता को लेकर सवाल खड़े होने लगे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार राहुल गांधी की हरकतों को बचकाना हरकत बताकर उनकी गंभीरता को कमतर आंकने की कोशिश की.

राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान सेना की तरफ से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक कहकर मोदी का मजाक उडाया था. लेकिन, इसको लेकर भी मोदी ने राहुल गांधी को कठघरे में खडा कर दिया. सभी मुद्दों को अपने पक्ष में भुनाने में माहिर मोदी ने राहुल के इस कदम को सेना का मनोबल गिराने वाला बताया.

बीजेपी की सहयोगी शिवसेना इस अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन से नदारद रही. फिर भी सरकार के पक्ष में 325 सांसदों का समर्थन हासिल हो गया. कुल 451 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा लिया जिसमें टीडीपी की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 126 सांसदों ने वोटिंग की जबकि विरोध में 325 सांसदों ने वोटिंग की. इस तरह सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव भारी अंतर से गिर गया.विपक्ष को मात देने के बाद अब फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार बढ़े मनोबल के साथ संसद के मौजूदा सत्र में विपक्ष पर हमलावर रहेगी. सरकार को घेरने के लिए अब विपक्ष के पास कोई मुद्दा भी नहीं बचा है. हर मुद्दे पर विपक्ष के सारे सवालों का जवाब देकर मोदी ने विपक्ष की बोलती बंद कर दी है. यही मोदी की रणनीति भी थी जिसके तहत सरकार ने टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव को सत्र के पहले ही दिन स्वीकार कर लिया.

सरकार इसके लिए तैयार भी थी. सरकार को लग रहा था कि अलग-अलग मोर्चे पर मोदी विरोधी मुहिम चलाने वाले विपक्षी दलों को एक साथ जवाब देकर फिर से नए मनोबल और नई उर्जा के साथ सरकार बाकी बचे कार्यकाल के लिए काम भी करेगी. मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान इस मौके को एक बड़े प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल किया. कोशिश थी विपक्ष के तरकश के सारे तीर को धाराशायी करने की. मोदी काफी हद तक इसमें सफल भी रहे.

अपने डेढ़ घंटे के करीब दिए भाषण के दौरान मोदी ने विपक्ष को 2024 में अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर शुभकामना दी. मोदी का मतलब विपक्ष को यह दिखाना था कि 2024 तक कोई वेकेंसी नहीं है. मोदी लोकसभा के अपने भाषण से देश की जनता को यह भरोसा दिला रहे हैं कि 2019 में फिर से उनकी ही सरकार बनेगी.

इसे मोदी का अति आत्मविश्वास कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मोदी का आत्मविश्वास भी दिखा जबकि दिन भर चर्चा में रहने के बावजूद राहुल गांधी को लेकर वो विश्वास नहीं दिखा, जिससे यह उम्मीद की जा सके 2019 की लडाई में राहुल गांधी की तरफ से मोदी को बडी चुनौती दी जा सकती है. यह कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी ने मोदी को घेरने का एक बड़ा मौका खो दिया, जबकि मोदी ने फिर से मैदान मार लिया है. जिसके दम पर वो नई धार और नई रणनीति के सहारे विजयी भाव से आने वाली लड़ाई की तैयारी में जुटने वाले हैं.

 

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