सर्वे: देर शाम तक दफ्तर में काम करने से उड़ सकती है आपकी नींद

जिंदगी में बढ़ते काम के दबाव का असर अब हमारी सेहत पर दिखने लगा है. काम के दबाव से जूझ रहे ज्‍यादातर लोगों में आजकल नींद न आने की समस्‍या बेहद कॉमन हो गई है. नींद न आने की यह समस्‍या उन लोगों के लिए खासतौर पर जटिल हो जाती है, जो लोग देर शाम तक ऑफिस में काम करते हैं. जी हां, डॉक्‍टर्स का कहना है कि देर शाम तक काम करने से ज्‍यादातर लोगों की सामाजिक उपलब्‍धता खत्‍म हो गई है. जिसका नकारात्‍मक असर उनकी सेहत में दिखना शुरू हो गया है.

इंद्रप्रस्‍थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. तरुण कुमार साहनी के अनुसार, दफ्तर में देर शाम तक काम करने वाले लोगों में बीमारी का पहला लक्षण नींद न आने की समस्‍या से शुरू होता है. समय के साथ यह समस्‍या चिड़चिड़ाहट, ब्‍लड प्रेशन, हाइपरटेंशन के दौर से गुजरती हुई हृदय की जटिल बीमारियों तक पहुंच जाती है. कई बार, लोगों की लापरवाही के चलते हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थिति भी उत्‍पन्‍न हो जाती है. लिहाजा, स्‍वस्‍थ्‍य रहने के लिए आपको न केवल दफ्तर से समय पर घर जाने की आदत डालनी होगी, बल्कि सामाजिक उपलब्‍धता को बढ़ाना होगा.

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स्‍लीप रिदम होती है प्रभावित

डॉ. तरुण कुमार साहनी के अनुसार, नींद की समस्‍या से परेशान मरीजों से हम एक सवाल जरूर पूछते हैं कि वह दफ्तर से घर कितने बजे पहुंचते हैं. ज्‍यादातर, मरीजों का जवाब होता है कि वह रात में आठ से नौ बजे के बीच घर पहुंचते हैं. ऐसे में, उस शख्‍स को नहाने, खाने और टीवी देखने के बाद बेड तक पहुंचने में रात के 11 से 12 बज जाते हैं. उसे सुबह फिर जल्‍दी ऑफिस जाना है. ऐसे में शरीर को जितनी नींद की जरूरत है, वह उसे नहीं मिल पाती है. लगातार, इस प्रक्रिया के दोहराए जाने पर स्‍लीप रिदम बिगड़ जाता है और आप धीरे-धीरे बीमारियों की तरफ बढ़ना शुरू कर देते हैं.

 

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