अब आधे घंटे पहले ही मौसम विभाग जारी करेगा ये चेतावनी कि कहां फटेगा बादल

मौसम विभाग अब प्रदेश में बादल फटने की चेतावनी आधे घंटे पहले जारी कर देगा। बारिश के आंकलन और राडार के आंकड़ों के आधार पर मौसम विभाग यह चेतावनी जारी करेगा। अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित होने से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा। उत्तराखंड में यह खासा फायदेमंद साबित हो सकता है क्योकि यहां बादल फटने की घटनाएं बहुत ज्यादा होती हैं। अब आधे घंटे पहले ही मौसम विभाग जारी करेगा ये चेतावनी कि कहां फटेगा बादल

किसी भी क्षेत्र विशेष में एक घंटे के दौरान 100 मिमी या उससे अधिक बारिश होती है, तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं। इतनी अधिक बारिश किसी भी क्षेत्र में तबाही मचा सकती है।

पहाड़ी क्षेत्रों में एक घंटे में 80-90 मिमी की बारिश भी खासा नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन अब इससे होने वाले जान-माल के नुकसान को कुछ कम किया जा सकता है। मौसम विभाग ने अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया है, जिसके जरिये बादल फटने की भविष्यवाणी आधे घंटे पहले तक की जा सकती है। 

कैसे होगी भविष्यवाणी

प्रदेश में 25 ऑटोमैटिक वेदर सिस्टम और रेन गेज लगे हैं। इनसे मौसम विभाग को हर 15 मिनट में बारिश का डाटा मिलता है। इसके अलावा राडार के जरिये बादलों की स्थिति पर नजर रखी जाती है।

किसी भी क्षेत्र में अगर शुरुआती आधे घंटे में 50 मिमी या उससे ज्यादा बारिश हुई तो राडार से बादलों की स्थिति देखी जाती है। अगर अगले आधे घंटे या उससे ज्यादा समय तक उनमें कोई बदलाव न दिखे तो इसका मतलब है कि वहां इसी गति से बारिश होती रहेगी। ऐसे में मौसम विभाग तुरंत अलर्ट जारी कर देगा। 

प्रदेश में राडार लगाने का काम शुरू
प्रदेश में अभी बादलों की वास्तविक स्थिति दिखाने वाला एक भी राडार नहीं है। ऐसे में मौसम विभाग को बादल देखने के लिए दिल्ली और पटियाला के राडार पर निर्भर रहना पड़ता है। अक्सर बीच के स्थानों पर बादल होने से उत्तराखंड की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती, जिससे मौसम को लेकर अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसको देखते हुए प्रदेश में तीन राडार लगाने का काम शुरू किया गया है। मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि मसूरी और मुक्तेश्वर में इसके लिए जगह चिह्नित कर ली गई है। तीसरा राडार चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा के बीच कहीं लगाया जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 2020 तक तीनों राडार काम करना शुरू कर देंगे। 

चार जगह नापते हैं बारिश
देहरादून जिले में चार स्थानों पर बारिश नापने के लिए ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (एडब्ल्यूएस) और रेन गेज की सुविधा उपलब्ध है। मोहकमपुर स्थित मौसम केंद्र परिसर के अलावा सर्वे ऑफ इंडिया, कालसी और जौलीग्रांट में यह उपकरण स्थापित हैं। इसके अलावा अन्य सभी स्थानों में बारिश की मात्रा विभाग अनुमान के आधार पर जारी करता है। 

जल्द होगी सटीक भविष्यवाणी
अभी प्रदेश में मौसम विभाग की ज्यादातर भविष्यवाणियां भले ही अनुमान पर आधारित हो लेकिन जल्द ही इसकी सटीकता बढ़ जाएगी। प्रदेश में तीन राडार के अलावा 107 एडब्ल्यूएस, अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर 16 स्नो गेज और 60 ऑटोमैटिक रेन गेज लगने हैं। प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम एक एडब्ल्यूएस लगाने की योजना है। अभी विभाग 100 वर्ग किमी क्षेत्रफल के आंकड़े जारी करता है। लेकिन यह सब उपकरण लगने के बाद छोटे-छोटे क्षेत्रों की भविष्यवाणी भी की जा सकेगी।

बादल फटने की जानकारी आधा घंटा पहले मिलने से जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है। उत्तराखंड में राडार लगने के बाद इसका बिल्कुल सटीक आंकड़ा दिया जा सकता है। प्रदेश के सभी हिस्सों के लोगों को इसका फायदा मिलेगा। 

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