अब भूख से मरेगा तानाशाह किम जोंग, संयुक्त राष्ट्र हुक्का पानी बंद करने की कर रहा है तैयारी

यूं तो पूरे नार्थ कोरिया में किम जोंग उन की इजाज़त के बिना परिंदा भी पर नहीं मार सकता। पत्ता भी यहां के तानाशाह से पूछ कर हिलता है, लेकिन अब सयुक्त राष्ट्र संघ ने इस तानाशाह के तख्त को हिलाने की ठान ली है। उसे बूंद-बूद के लिए तरसाने की ठान ली है। उसकी अकड़ उसकी सनक को मिट्टी में मिलाने की ठान ली है। क्योंकि अब तानाशाह की करतूत पूरा नॉर्थ कोरिया भुगतेगा।

अपनी सनक में पागल नार्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की सनक की कीमत अब पूरे नॉर्थ कोरिया को चुकानी पड़ेगी, क्योंकि अब नॉर्थ कोरिया का एक एक बाशिंदा एक-एक बूंद पेट्रोल के लिए तरसने वाला है। दरअसल सयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों के जवाब में उस पर सबसे सख़्त प्रतिबंधों को मंज़ूरी दे दी है। इन नए प्रतिबंध के चलते उत्तर कोरिया का पेट्रोलियम आयात 90 प्रतिशत तक घट जाएगा। जिसका सीधा मतलब नॉर्थ कोरिया में पेट्रोल का आकाल है। क्योंकि इस रोक के बाद चाहकर भी कोई नॉर्थ कोरिया को पेट्रोलियम का आयात नहीं कर पाएगा।

आपको बता दे कि उत्तर कोरिया के खिलाफ इस प्रस्ताव को अमेरिका ने ही पेश किया था और इस प्रस्ताव की सबसे खास बात ये हैं, कि इसे उत्तर कोरिया के दोस्त चीन और रूस ने भी समर्थन दिया है। यानी के नॉर्थ कोरिया के दोस्त चीन ने भी उसका साथ छोड़ दिया। लगता है कि चीन उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परिक्षणों से वैश्विक खतरे को भांप रहा है। इसीलिए जानकार भी इस प्रतिबंध को उत्तर कोरिया पर लगा अब तक का सबसे बड़ा प्रतिबंध मान रहे है।

हांलाकि ये पहली बार नहीं है, जब उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाया या उसे धमकी दी गई हो। इसी साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को सख़्त अंदाज़ में धमकी दी थी, और तानाशाह की तुलना अपराधियों से करते हुए कहा था, कि दुनिया का कोई भी देश ऐसे अपराधियों के हाथों में परमाणु हथियार या मिसाइलें देखने नहीं चाहता। साथ ही ट्रंप ने ये भी कहा था कि अमरीका के पास अथाह शक्ति और सब्र है, लेकिन यदि अमरीका को अपने आप को और अपने सहयोगियों को सुरक्षित करने के लिए मजबूर किया गया तो हमारे पास उत्तर कोरिया को पूरी तरह बर्बाद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा, लेकिन ट्रंप की इस धमकी का उत्तर कोरिया पर कोई असर नहीं हुआ।

नवंबर में उत्तर कोरिया ने ह्वासोंग-15 मिसाइल दाग दी थी। ये उत्तर कोरिया की सबसे लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल थी, लेकिन अब जो प्रतिबंध नॉर्थ कोरिया पर लगाया गया है। उसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि निकी हेली को भी लगता है, कि इस प्रतिबंध से नॉर्थ कोरिया के तानाशाह की अकड़ ढीली हो जाएगी, क्योंकि किसी भी देश में तेल की रोक को आज के दौर में अच्छी तरह से समझा जा सकता हैं, और जो मिसाइल परिक्षण लगातार नॉर्थ कोरिया का तानाशाह कर रहा है। उसे सबक सिखाने का इससे अच्छा कोई तरीका हो भी नहीं सकता था, और दुनिया के राजनयिकों को भी लगता है, कि ये प्रतिबंध उत्तर कोरिया की परमाणु या मिसाइल परीक्षण करने की क्षमता को गहरी चोट पहुंचाएंगा।

 
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