पंडितों के लहसुन-प्याज़ ना खाने की ये है सबसे बड़ी वजह

सिर धर से अलग होने तक उनके मुंह के अंदर अमृत की कुछ बूंदे चली गई, ऐसे में राक्षसों का सिर तो अमर हो गया, लेकिन बाकि सब नष्ट हो गया. जब विष्णु जी ने उन पर प्रहार किया तो कुछ खून की बूंदे नीचे गिर गई थी, ऐसे में उन्ही खून से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई, जिसकी वजह से इन्हें खाने से मुंह से गंध आती है.पंडितों के लहसुन-प्याज़ ना खाने की ये है सबसे बड़ी वजह

तो अब आप समझें राक्षसों के खून से बने होने की वजह से ब्राह्मण लहसुन-प्याज़ का सेवन नहीं करतें, क्योंकि उनका मानना है कि प्याज औऱ लहसुन में राक्षसों का वास है.

ये तो हुई धार्मिक मान्यता अब बताते हैं वैज्ञानिक कारण जिसकी वजह से ब्राह्मणों के लिए लहसुन-प्याज़ वर्जित है.

फूड कैटगराइजेशन

आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – सात्विक, राजसिक और तामसिक. मानसिक स्थितियों के आधार पर इन्हें हम ऐसे बांट सकते हैं…

सात्विक: शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुण

राजसिक: जुनून और खुशी जैसे गुण

तामसिक: क्रोध, जुनून, अहंकार और विनाश जैसे गुण

अहिंसा: प्याज़ और लहसुन तथा अन्य ऐलीएशस (लशुनी) पौधों को राजसिक और तामसिक रूप में वर्गीकृत किया गया है. जिसका मतलब है कि ये जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते हैं. अहिंसा – हिंदू धर्म में, हत्या (रोगाणुओं की भी) निषिद्ध है. जबकि जमीन के नीचे उगने वाले भोजन में समुचित सफाई की जरूरत होती है, जो सूक्ष्मजीवों की मौत का कारण बनता है. अतः ये मान्यता भी प्याज़ और लहसुन को ब्राह्मणों के लिये निषेध बनाती है, लेकिन तब सवाल आलू, मोल्ली और गाजर पर उठता है.

अशुद्ध खाद्य: कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मांस, प्याज और लहसुन का अधिक मात्रा में सेवन व्यवहार में बदलाव का कारण बन जाता है. शास्त्र के अनुसार लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध हैं, क्योंकि आमतौर पर ये अशुद्धता बढ़ाते हैं और अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आते हैं.

सनातन धर्म के वेद शास्त्रों के अनुसार लहसुन और प्याज़ जैसी सब्जियां प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं, जिस कारण अध्यात्म के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है. इस कारण इसका सेवन नहीं करना चाहिए. बहरहाल ये सारी बातें आज के मॉर्डन युवाओं के लिए भले ही दकियानूसी बातें हों, मगर ब्राह्मण आज भी इन्हें मानते हैं.

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