नोटबंदी नहीं, ‘इस दावे में हुई चूक’ इसलिए देश की रफ्तार पड़ी सुस्त

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी अपने तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. जहां विपक्ष दावा कर रहा है कि नोटबंदी इसके लिए जिम्मेदार है, वहीं जानकारों का मानना है कि जीडीपी में दर्ज हुई गिरावट का असली गुनहगार जीएसटी को लागू किए जानें की प्रक्रिया में एक पेंचीदा नियम है. जीएसटी कानून के तहत देश में 1 जुलाई 2017 से पहले निर्मित किसी उत्पाद पर कारोबारियों को टैक्स में कोई रियायत नहीं मिलेगी. इसी नियम के तहत देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार सुस्त पड़ी और पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों को नुकसान पहुंचा है.

No ceasefire, 'mistake in this claim', so the country's speed is sluggish

काले धन और नोटबंदी को लेकर चल रही गरमा गरम बहस के बीच गुरुवार की शाम सरकार ने जब इस वित्तीय वर्ष के पहले तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों का ऐलान किया तो ठीक वही हुआ जिसका सबको डर था. भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ने की रफ्तार काफी धीमी हो गई है. अप्रैल से लेकर जून तक की तिमाही के लिए जीडीपी घटकर 5.7 फ़ीसदी रह गई है. विकास की रफ्तार को झटका कैसे लगा इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले साल इसी तिमाही में जीडीपी बढ़ने की रफ्तार 7.9 फीसदी थी. मोदी सरकार के लिए यह चिंता की बात जरूर होगी यह लगातार तीसरी ऐसी तिमाही रही जिसमें जीडीपी कम हो गई है. पिछली तिमाही में जीडीपी 6.1. फीसदी थी.

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जीडीपी घटने की वजह बताते हुए सचिव टी एस ए अनंत ने बताया कि उद्योग और मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में तेज गिरावट की वजह से जीडीपी कम हुई है. पिछली तिमाही में रियल एस्टेट सेक्टर में भी काफी मंदी रही. मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में किस कदर गिरावट आई है उसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले साल इसी तिमाही, यानी 2016 में अप्रैल से जून के बीच में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर 10.7 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा था जो अब 1.2 फीसदी रह गयी है.

माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार में इस कमी की बड़ी वजह पिछले साल की गई नोटबंदी रही जिसकी वजह से सबसे ज्यादा इंडस्ट्री प्रभावित हुई.

लेकिन टीएसए अनंत ने नोटबंदी के असर के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस तिमाही में जीडीपी गिरने की सबसे बड़ी वजह नोटबंदी नहीं जीएसटी का लागू होना रहा. उन्होंने कहा कि सबको पता था कि 1 जुलाई से जीएसटी लागू होनी है इसीलिए तमाम इंडस्ट्री के लोगों ने जीएसटी लागू होने से पहले उत्पादन कम कर दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि जीएसटी से पहले बनाए गए माल में उन्हें कर में छूट नहीं मिल पाएगी. लेकिन उन्होंने भी माना कि नोटबंदी का कुछ असर जरूर पडा़ होगा.

गुरुवार के जीडीपी आंकड़ों से सरकार की चिंता जरूर बढ गई होगी क्योंकि पहले नोटबंदी और उसके बाद जीडीपी की दोहरी मार ने अर्थव्यवस्था को काफी धीमा कर दिया है. नोटबंदी से कितना कालाधन वापस आया इसको लेकर पहले से ही विपक्ष सरकार पर हमले कर रहा था. अब जीडीपी में आई तेज गिरावट से विपक्ष को नया हथियार और मिल गया है.

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