राजनीति में आने से पहले ही नीतीश कुमार को आया था ये आइडिया

पटना : 26 नवंबर 2015 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदीकी घोषणा करते हुए कहा था कि एक अप्रैल 2016 से शराब पीने और बेचने पर प्रतिबंध होगा. उन्होंने इसके लिए कठोर कानून का भी प्रावधान किया. नीतीश कुमार ने भले ही 2015 में ही इसकी घोषणा की हो, लेकिन राजनीति में आने से पहले ही वह शराब के खिलाफ मन बना लिए थे.राजनीति में आने से पहले ही नीतीश कुमार को आया था ये आइडिया

देश के पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की जयंति पर आयोजित लोक स्वराज प्रतिबद्धता अभियान के समापन समारोह में नीतीश कुमार ने खुद इस बात का खुलासा किया.

नीतीश कुमार ने कहा कि शराब के खिलाफ वह बहुत पहले से रहे हैं. संबोधन के दौरान अपने कॉलेज जीवन को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने के बाद पटना के मुसल्लहपुर हाट स्थित कृष्णा लॉज में रहते थे. उस समय शराब के बारे में उतनी जानकारी नहीं थी. महीने की शुरुआत में लॉज से कुछ ही दूरी पर देर रात काफी शोर सुनाई देता था.’

नीतीश कुमार आगे बताते हैं, ‘जब हमने पता लगाया कि आखिर ये आवाज कहां से आ रही है, तो पता चला कि ये नगर निगम में काम करने वाले लोग हैं. महीने की शुरुआत में सैलरी मिलती थी. जिससे वह शराब खरीदकर पीते थे और एक-दूसरे से झगड़ते थे देते थे. अपनी पत्नी तक के साथ गाली-गलौज और मारपीट करते थे.’ सीएम नीतीश ने बताया कि तब जाकर मुझे पता चला कि शराब कितनी बुरी चीज है.

नीतीश कुमार ने कहा कि नौ जुलाई 2015 को पटना में एक कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने शराबबंदी की मांग की. सरकार में आने के बाद ही हमने इसका निर्णय लिया. शराबबंदी की सफलता गिनाते हुए उन्होंने कहा कि पहले शाम छह बजे के बाद चलने का माहौल नहीं होता था. शादी-विवाह के कार्यक्रम भी शांतिपूर्वक संपन्न हो रहा है.

साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि चंद लोग अभी भी इस अभियान को असफल करने में लगे हैं, लेकिन वह कभी भी इसमें सफल नहीं हो पाएंगे. उन्होंने कहा कि समाज के अधिकतर लोग इसके पक्ष में हैं. 21 जनवरी 2017 को चार करोड़ लोगों ने शराबबंदी और नशामुक्ति के पक्ष में मानव श्रृंखला बनायी थी.

https://www.facebook.com/iprdbihar/videos/1202575969885520/

Back to top button