MP में शिक्षा और रोजगार पर अधिक ध्‍यान देने की जरूरत: कैलाश विजयवर्गीय

मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के राष्‍ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के तल्‍ख रिश्‍तों को लेकर हमेशा से अटकलें लगाई जाती रही हैं. मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 करीब आने के साथ कैलाश विजयवर्गीय को लेकर कई तरह की चर्चाएं सूबे में चल रही है. इन चर्चाओं में एक यह भी है कि मुख्‍यमंत्री से नाराजगी और केंद्रीय नेतृत्‍व में अपनी जगह तलाश रहे कैलाश विजयवर्गीय ने इन दिनों मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार से दूरी बना रखी है. इन तमाम अटकलों को लेकर जी न्‍यूज-डिजिटल के प्रिंसिपल कॉरेस्‍पोंडेंट अनूप कुमार मिश्र ने कैलाश विजयवर्गीय से बातचीत की. प्रस्‍तुत है बातचीत के प्रमुख अंश: MP में शिक्षा और रोजगार पर अधिक ध्‍यान देने की जरूरत: कैलाश विजयवर्गीय

प्रश्‍न: मध्‍य प्रदेश में इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि मालवा में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव प्रचार से दूरी बना रखी है. इन चर्चाओं का आधार आपके और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच के रिश्‍तों को बनाया जा रहा है. इन चर्चाओं में कितनी सच्‍चाई है? 
कैलाश विजयवर्गीय : विधानसभा चुनाव 2018 को लेकर मध्‍य प्रदेश में सभी राजनैतिक दल चुनाव प्रचार में सक्रिय हो चुके हैं. चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सभी विपक्षी दल हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. कई विपक्षी दल इस तरह की बातें करके न केवल बीजेपी के कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने का प्रयास करते हैं, बल्कि मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश में लगे हुए हैं. इस तरह की सभी बातें पूरी तरह से निराधार हैं. मैं अपने सूबे में पूरी तरह से सक्रिय हूं. बीते दिनों मैंने इंदौर का दौरा किया है. मालवा क्षेत्र में आने वाली सभी विधानसभाओं में जा रहा हूं. चूंकि पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल का प्रभार भी दे रखा है. लिहाजा, समय-समय पर मुझे पश्चिम बंगाल आना पड़ता है. आने वाले समय में मध्‍य प्रदेश की विभिन्‍न विधानसभाओं के दौरे की फ्रिक्‍वेंसी बढ़ाऊंगा. 

प्रश्‍न: चर्चाएं यह भी हैं कि आपके पसंद के उम्‍मीदवारों को न ही टिकट दिया जा रहा है और न ही मध्‍य प्रदेश के मंत्रिमंडल में आपके द्वारा सुझाए गए नामों को जगह मिली. इसके चलते आपने मध्‍य प्रदेश की राजनीति से दूरी बना ली है.
कैलाश विजयवर्गीय : ये बातें पार्टी के भीतर नहीं, बल्कि विपक्षी दलों द्वारा क्षेत्र में फैलाई जाती हैं. विपक्षी दलों की कोशिश है कि बीजेपी के पक्ष में खड़े मतदाताओं को दिग्भ्रमित किया जाए और कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ा जाए. जहां तक मध्‍य प्रदेश मंत्रिमंडल का सवाल है, तो यह बहुत ही अच्‍छा और सं‍तुलित मंत्रिमंडल है. मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व्‍यक्तिगत तौर पर इस बात का ख्‍याल रखते हैं कि मंत्रिमंडल में सभी क्षेत्रों और वर्गों को समान प्रतिनिधित्‍व मिले. रही बात मालवा की, तो मालवा का मंत्रिमंडल में अच्‍छा प्रतिनिधित्‍व है. मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योग्‍यता के अनुसार सभी को बेहतर प्रतिनिधित्‍व दिया है. जहां तक टिकट के बंटवारे की बात है, इसका फैसला पार्टी अपने आंकलन के आधार पर सर्वसम्‍मति से करती है. टिकट के बंटवारे में किसी एक व्‍यक्ति की पंसद और नापसंद मायने नहीं रखती है. 

प्रश्‍न: पूरे देश में किसान इन दिनों आंदोलनरत हैं. विधानसभा चुनाव को देखते हुए मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में भी नाराज किसान लगातार अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. क्‍या आपको नहीं लगता कि किसानों की समस्‍याओं को सुलझाने में मध्‍य प्रदेश सरकार चूक गई. 
कैलाश विजयवर्गीय : मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्‍व वाली बीजेपी सरकार ने किसानों के हित से जुड़ी कई योजनाएं प्रदेश में चलाई हैं. कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत सरकार ने 9 लाख 48 हजार किसानों के बैंक खातों में 853 करोड़ प्रोत्साहन राशि ट्रांसफर की है. प्रदेश में सिचाई के क्षेत्र को बीते सालों में हमने 7 लाख हेक्‍टयेर से 40 लाख हेक्‍टेयर तक पहुंचाया है. 17.78 लाख किसानों का करीब 2600 करोड़ रुपए का ऋण ब्‍याज माफ किया गया है. चना, मसूर, सरसों और धान पर प्रोत्‍साहन राशि देने की बात है. इसी तरह, बीते दिनों मुख्‍यमंत्री ने सोयाबीन उत्पादक किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने की बात कही है. इस तरह की तमाम योजनाएं हैं जो किसानों के हित में मध्‍य प्रदेश में चलाई गई है. मैं पूरे विश्‍वास और दावे के साथ कह सकता हूं कि मध्‍य प्रदेश का किसान बिल्‍कुल भी नाराज नहीं है. मध्‍य प्रदेश का किसान संतुष्‍ट है. चुनाव को ध्‍यान में रखते हुए कुछ राजनैतिक दल किसानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. 

प्रश्‍न: एससी-एसटी के मुद्दे पर सवर्ण नाराज हैं. रविवार को सपाक्‍स के बैनर तले बड़ी संख्‍या में सवर्ण मध्‍य प्रदेश में जुटे. उन्‍होंने खुले तौर पर बीजेपी की खिलाफत करने की बात कही है. विधानसभा चुनावों में सवर्णों की यह नाराजगी आपके लिए कितनी बड़ी चुनौती है.  
कैलाश विजयवर्गीय : एससी-एसटी को लेकर जो कानून पारित हुआ है, वह पूरे देश के लिए है. जिन राज्‍यों में चुनाव है, वहां ही क्‍यों हलचल है. यदि सवर्णो में नाराजगी होती तो पूरे देश का सवर्ण सड़कों पर होता, लेकिन ऐसा नहीं है. आप देख सकते हैं कि सब राजनैतिक इश्‍यू हैं, समय के साथ इसका समाधान हो जाएगा. 

प्रश्‍न: बीते दिनों रीवा में कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने मुख्‍यमंत्री को योजनाओं की फैक्‍टरी बताया है. उनका आरोप है कि बीते 15 सालों प्रदेश की बीजेपी सरकार ने सिर्फ वादे किए हैं. सरकार अपना एक भी वादा करने में विफल रही.
कैलाश विजयवर्गीय : विपक्षी दल के तौर पर कांग्रेस मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाती रही है और आगे भी लगाती रहेगी. मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्‍व में मध्‍य प्रदेश का अभूतपूर्व विकास बीते 15 सालों में हुआ है. मध्‍य प्रदेश का पूरा कायाकल्प हो गया है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में काफी तरक्‍की हुई है. मध्‍य प्रदेश वासियों की पर-कैपिटा इनकम में इजाफा हुआ है. गांव, किसान, गरीब और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काफी काम किया गया है. मध्‍य प्रदेश की जनता बीजेपी की सरकार से बहुत खुश है. इसका साक्ष्‍य आपको मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में देखने को मिल जाएगा. 

प्रश्‍न: मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दावा है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया है. बावजूद इसके आपकी नजर में कोई ऐसा मुद्दा है, जिस पर पार्टी को अधिक संजीदगी से काम करने की जरूरत है. 
कैलाश विजयवर्गीय : विकास सतत चलने वाली प्रक्रिया है इसमें कभी भी संतुष्टि नहीं हो सकती है. इसलिए हमें टेक्‍नॉलॉजी के साथ आगे बढ़ना है. हमने गांव का विकास किया, खेती का विकास किया, किसान को समृद्ध किया, मजदूर और गरीब लोगों के लिए योजनाएं बनाईं, जिससे उनकी गरीबी दूर हो. अभी आवश्‍यकता इस बात की है कि हमें क्‍वलिटी एजुकेशन और रोजगार पर अधिक फोकस करना होगा. मध्‍य प्रदेश में क्‍वालिटी एजुकेशन बेहतर करने और रोजगार बढ़ाने की भी आवश्‍यकता है. बीते सालों में मध्‍य प्रदेश में काफी निवेश आया है, प्रदेश का औद्योगिकीकरण हुआ है. फलस्‍वरूप प्रदेश में पहले की अपेक्षा रोजगार भी काफी बढ़ा है. अब, जिस प्रकार जनसंख्‍या बढ़ रही है उस हिसाब से हमें रोजगार के संसाधन बढ़ाने होंगे. 

Back to top button