जोकीहाट की हार सतर्क हुआ NDA, सात जून को महासम्मेलन में बनेगी रणनीति
पटना। जोकीहाट उपचुनाव के परिणाम के बाद राजग के कान खड़े हो गए हैं। जदयू की हार ने भाजपा को सतर्क होने पर मजबूर कर दिया है। सात जून को पटना के ज्ञान भवन में प्रस्तावित राजग के महासम्मेलन को इसी नजरिए से देखा-परखा जा रहा है।
सीमांचल में राजग को मिलाजुला अनुभव मिलता रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में राजद-लोजपा गठबंधन के बावजूद सीमांचल की चार संसदीय सीटों में से तीन को भाजपा ने अपनी झोली में डाल लिया था, लेकिन प्रचंड मोदी लहर में भी 2014 में इलाके की सारी सीटें विरोधियों के कब्जे में चली गई थीं। भाजपा के खाते में एक भी सीट नहीं आई।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार जोकीहाट के नतीजे को जदयू के नजरिए से अप्रत्याशित नहीं मानते। उनके मुताबिक परिवारवाद को प्रोत्साहित करने वाली पार्टी में तस्लीमुद्दीन का असर इतना जल्दी खत्म नहीं हो जाएगा। सरफराज के बाद शाहनवाज की जीत हैरान करने वाली नहीं है। जदयू परिवारवाद और उन्मादी राजनीति से बहुत दूर है। हमारा लक्ष्य समावेशी विकास है। चुनावी परिणाम के मुताबिक हम कार्यक्रम तय नहीं करते।
राजग महासम्मेलन के मायने
ढाई महीने में चार सीटों पर हुए उपचुनाव में तीन पर हार के बाद भाजपा, जदयू, लोजपा और रालोसपा के सभी वरिष्ठ-कनिष्ठ नेता इकट्ठा होने वाले हैं। हार पर चिंतन और भविष्य पर मशक्कत के साथ-साथ घटक दलों की संगठित शक्ति का प्रदर्शन भी होगा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर शर्मा सात जून के महासम्मेलन के मकसद और मायने को स्पष्ट करते हैं। उनके मुताबिक राजग के घटक दल बिहार में एकजुट हैं। बहुत दिनों से संयुक्त रूप से घटक दलों की कोई बैठक नहीं हुई है। इसलिए समर्थकों में एकता का संदेश देने के लिए प्रदर्शन जरूरी है। इससे कार्यकर्ता उत्साहित होंगे और 2014 के नतीजे को दोहराया जा सकेगा।