NCDRC का अहम फैसला-तय समय से 1 साल ज्यादा देरी पर वापस मिलेगी फ्लैट की कीमत

देशभर के लाखों फ्लैट खरीददारों के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission) का यह फैसला बड़ी राहत लेकर आया है, जो अपनी जमा पूंजी लगाकर कई सालों से अपने आशियाने पाने का इंतजार कर रहे हैं। अपने फैसले में NCDRC ने फ्लैट तैयार करने की देरी की सीमा निर्धारित कर दी है।

NCDRC ने साफतौर पर कहा है कि बिल्डर अगर तय समयसीमा में प्रोजेक्ट पूरा करने में अक्षम रहता है, तो निवेशक पैसे वापस पाने का दावा कर सकता है। यह फैसला इस मायने में भी अहम है कि इससे पहले कई राज्य स्तरीय उपभोक्ता फोरम और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी बार-बार बिल्डर प्रोजेक्ट की देरी को कर अपने अपने आदेश में कह चुका है कि ग्राहक रिफंड का दावा कर सकता है। यह अलग बात है कि अब तक के फैसलों में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि आखिर कितनी देर होने पर रिफंड का दावा किया जाए? ऐसे में NCDRC का यह ऐतिहासिक फैसला देशभर के करोड़ों फ्लैट निवेशकों के लिए राहत लेकर आया है। 

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के इस नए फैसले के मुताबिक, बिल्डर द्वारा तय समय सीमा में फ्लैट सौंपने के वादे की तारीख से एक साल बाद भी अगर बिल्डर अपना वादा पूरा नहीं करता तो खरीददार अपने पैसे वापसी का दावा कर सकता है। इस बाबत प्रेम नारायण की एक बेंच ने कहा है कि इससे जाहिर है कि खरीददार को रिफंड का अधिकार है। एक साल से ज्यादा की देरी वाकई में परेशानी का सबब बन जाती है।

गौरतलब है कि दिल्ली के रहने वाले फ्लैट निवेशक पीड़ित शलभ निगम ने यह याचिका दायर की थी। मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2012 में शलभ ने गुरुग्राम के अल्ट्रा लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट ग्रीनपोलिस प्रोजेक्ट में अपना एक फ्लैट बुक कराया था। इस प्रोजेक्ट का निर्माण ओरिस इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी कर रही थी। फ्लैट खरीदने के एवज में उन्होंने तकरीबन 90 लाख रुपये अदा कर दिए थे, सिर्फ 10 फीसद रकम ही बाकी रह गई थी। हालांकि, फ्लैट की कुल कीमत एक करोड़ थी।

फ्लैट खरीदने के दौरान बिल्डर ने एग्रीमेंट के तहत बिल्डर ने वादा किया था कि 36 महीने यानी तीन साल में फ्लैट मिल जाएगा। शलभ के मुताबिक, बिल्डर ने अपना वादा पूरा नहीं किया और न ही इस बाबत कोई भी संतोषजनक जवाब मिला। इतना ही नहीं, बिल्डर प्रोजेक्ट को लेकर पूछे जाने पर तरह-तरह के बहाने बनाता रहा। 

फ्लैट खरीददारों को पूरे पैसे मिलेंगे वापस
NCDRC के फैसले को पूरी तरह बिल्डरों के खिलाफ माना जा रहा है। इस फैसले के तहत बिल्डर को उपभोक्ताओं के पूरे पैसे वापस करने होंगे। बिल्डरों का यह भी तर्क है कि खरीददार को बयाने के रूप में दिए 10 फीसद रकम छोड़नी होगी, जो उसे वापस नहीं मिलेगी। इस पर NCDRC ने बिल्डर के तर्क को खारिज करते हुए फैसला दिया है कि सातवें चरण तक किस्त दी गई है और इसके बाद निर्माण रुक गया इसलिए सारी रकम मिलेगी।

शलभ के मामले में आयोग ने कहा कि बिल्डर को सितंबर 2019 तक प्रोजेक्ट पूरा करके देना होगा,जिसमें उनका भी फ्लैट है। इस दौरान अगर पजेशन में और देरी होती है तो बिल्डर को छह फीसद प्रति वर्ष की दर से हर्जाना देना होगा। वहीं, अगर बिल्डर समय से फ्लैट का निर्माण कर नहीं दे पाता है तो उसे 10 फीसद ब्याज के साथ पूरी रकम वापस करनी होगी, जो एक करोड़ रुपये के आसपास है।

बिल्डर ने समय पर बनाकर नहीं दिया फ्लैट, केस दर्ज
यमुना एक्सप्रेस-वे, गौतमबुद्धनगर, सेक्टर 22 में सन वर्ल्ड वंदिता नाम से प्रोजेक्ट के नाम पर 17 लोगों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। 36 लाख रुपये में फ्लैट देने का वादा कर बिल्डर ने निवेशकों से 30 फीसद एडवांस ले लिया। निर्माण कार्य की प्रगति के अनुसार, शेष पैसे लेने थे। दो साल में फ्लैट बनाकर देने का वादा किया गया था, लेकिन सात साल बीतने के बावजूद निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। निवेशकों ने पैसे लौटाने की मांग की, लेकिन बिल्डर ने पैसे भी वापस नहीं किए। थक-हार कर 17 निवेशकों ने मंगलवार को आर्थिक अपराध शाखा में कंपनी के निदेशक दिनेश गोयल, योगेंद्र कुमार गुप्ता, धर्मवीर सिंह, सौरभ गुप्ता, संजीव गुप्ता व हर्ष सापरा के खिलाफ केस दर्ज करा दिया।

शिकायतकर्ता पुनीत अग्रवाल का कहना है वह चर्च रोड भोगल में परिवार के साथ रहते हैं। वह मेसर्स आरके एसोसिएट्स एंड होटेलियर्स में बतौर जनरल मैनेजर काम करते हैं। 2012 में उन्होंने मेसर्स सनवर्ल्ड सिटी के प्रोजेक्ट सनवर्ल्ड वंदिता के बारे में विज्ञापन देखा। वह बिल्डर के ऑफिस मिलने गए। वहां उन्हें दानिश नाम का कर्मचारी मिला। उसने उन्हें सनवर्ल्ड वंदिता सेक्टर-22, यमुना एक्सप्रेस वे के बारे में बताया। साथ ही, प्रोजक्ट से संबंधित तस्वीरें भी दिखाई।

दानिश ने उन्हें बताया कि प्रोजेक्ट में निवेश करने पर समय पर फ्लैट पर कब्जा मिल जाएगा। इसके बाद वह दानिश के साथ सनवर्ल्ड का दूसरा प्रोजेक्ट सनवर्ल्ड वनालिका भी देखने गए, जो अंडर कंस्ट्रक्शन था। वहां उन्हें सनवर्ल्ड वंदिता का डमी मॉडल भी दिखाया गया।

वंदिता प्रोजेक्ट के कर्मचारियों ने भी पुनीत अग्रवाल को कई जानकारियां दी। कवर पार्किंग, स्वीमिंग पूल, कमर्शियल हब, मार्केट व स्कूल की सुविधा होने का झांसा दिया गया। उन्हें बताया गया कि दो साल में फ्लैट पर कब्जा मिल जाएगा। झांसे में आकर उन्होंने एक फ्लैट बुक करा लिया। शुरू में उनसे चार लाख रुपये लिए गए। उसके बाद पुनीत ने 10.25 लाख रुपये दे दिए। दो साल में निर्माण कार्य आधा भी नहीं होने पर उन्होंने पैसे देना बंद कर दिया।

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