नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे प्रशांत किशोर: पंजाब

लगभग डेढ़ साल से राजनीतिक वनवास झेल रहे पंजाब के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर बड़ी खबर आ रही है। सिद्धू को लेकर पंजाब के राजनीतिक गलियारों में कयासबाजी भी तेज हो गई है।

दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू एक पार्टी में शामिल होकर पंजाब की राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते हैं। इसको लेकर बातचीत भी चल रही है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ नवजोत सिंह सिद्धू का राजनीतिक मतभेद किसी से छिपा नहीं है। इन्हीं मतभेदों की वजह से सिद्धू ने कैप्टन की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था।

इसके बाद लगभगा डेढ़ साल से वे ‘राजनीतिक वनवास’ में हैं। मगर अब नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी का दामन थाम कर राजनीति की तीसरी पारी शुरू कर सकते हैं।

अमृतसर के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सिद्धू कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ‘झाडू’ थाम सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार सिद्धू को आम आदमी पार्टी में शामिल करवाने के लिए प्रशांत किशोर बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सिद्धू व प्रशांत किशोर के बीच इस संदर्भ में कई बार टेलीफोन पर बातचीत भी हुई है।

प्रशांत किशोर ने सिद्धू से आम आदमी पार्टी में भूमिका को लेकर चर्चा भी की है। सूत्रों के अनुसार सिद्धू ने प्रशांत किशोर से स्पष्ट कर दिया है कि वह वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में परंपरागत लीडरशिप को हराने के लिए आप के साथ जुड़ना चाहते हैं। साथ ही पार्टी में बड़ा चेहरा बन मुख्यमंत्री पद के लिए केजरीवाल की सहमति चाहते हैं।

जानकारी के अनुसार प्रशांत किशोर ने सिद्धू के साथ हुई बातचीत का ब्योरा केजरीवाल को दिया है। कोरोना संक्रमण काल खत्म होने के बाद केजरीवाल-सिद्धू के बीच दिल्ली में बैठक होने की संभावना है।

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले नवजोत सिद्धू ने आम आदमी पार्टी में शामिल होने के लिए अरविंद केजरीवाल के साथ कई बैठक की थीं।

सत्ता मिलने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर केजरीवाल के साथ मतभेद के बाद सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गए थे। सिद्धू ने इसको घर वापसी का नाम दिया था।

कैप्टन अमरिंदर के साथ मतभेदों के बाद सिद्धू को इस बात की उम्मीद थी कि राहुल गांधी व प्रियंका गांधी उन्हें प्रदेश की राजनीति में कैप्टन के विरुद्ध स्थापित होने में मदद करेंगे।

लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सिद्धू को गांधी परिवार से भी निराशा हाथ लगी। सिद्धू के पास अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए अब एक रास्ता आम आदमी पार्टी है। इस संबंध में सिद्धू से बातचीत करने की कई बार कोशिश की गई लेकिन उनका फोन बंद आया।

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