बदल सकता है JNU मैनेजमेंट स्कूल का नाम, अटल बिहारी वाजपेयी नाम पर रखने का है प्रस्ताव
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने यह प्रस्ताव दिया है कि मैनेजमेंट और एंटरप्रेन्योरशिप स्कूल का नाम दिवगंत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा जाए. यह फैसला विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल की ओर किया गया है. कई बीजेपी शासित राज्यों में योजनाओं का नाम बदल कर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर किया जा रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी का देहांत 16 अगस्त को हुआ था. छत्तीसगढ़ सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में नया रायपुर शहर का नाम ‘अटल नगर’ करने का फैसला किया है.
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में उत्तर प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का नाम ‘अटल पथ’ रखने का फैसला किया है. वाजपेयी के निधन के बाद योगी ने उनके नाम पर आगरा, लखनऊ, कानपुर और बलरामपुर में चार स्मारक बनाने का ऐलान किया था.इसके साथ ही कई राज्यों ने केंद्र से अनुरोध किया है कि वे वाजपेयी के नाम पर स्थलों का नाम बदलने दें. आंध्र प्रदेश के मंगलागिरी एम्स का नाम बदलने, हिमाचल प्रदेश के एक रोहतंग सुरंग का नाम बदलने, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने और असम से बीजेपी विधायक ने व्यक्तिगत अनुरोध किया है कि बोगिबिल ब्रिज को ‘अटल सेतु’ कहा जाए.
वहीं बीजेपी अस्थि कलश यात्रा के साथ बीजेपी पूरे देश में श्रद्धांजलि सभाएं भी आयोजित कर रही हैं. दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने भाजपा व संघ पर निशाना साधा है. साल 2014 में भाजपा छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाली करुणा ने कहा कि भाजपा और संघ ने अटल बिहारी वाजपेयी का जितना उपयोग जीते जी किया, उतना ही उनके मरने के बाद कर रही है. भाजपा यह सब सत्ता पाने के लिए कर रही है.
‘करुणा शुक्ला ने NEWS18 से कहा कि पिछले साढ़े चार साल से केन्द्र में मोदी व 15 साल से छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की सरकार है, लेकिन एक बार भी उन्हें अटल जी की याद नहीं आई. इस दौरान जिन राज्यों में चुनाव हुए वहां अटल जी का नाम लेना तो दूर किसी पोस्टर या बैनर में अटल जी की तस्वीर तक नहीं लगाई गई. अब उनकी मृत्यु के बाद उनका राजनीतिक उपयोग किया जा रहा है.
कांग्रेस ने भी गुरुवार को भाजपा पर कटाक्ष करते हुए आरोप लगाया कि उसके किसी भी नेता ने अटल बिहारी वाजपेयी से नहीं सीखा और वे केवल ‘तुच्छ राजनीतिक लाभ’ के लिए पूर्व प्रधानमंत्री की अस्थियों का ‘इस्तेमाल’ कर रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने सोनिया गांधी और विपक्षी दल की आलोचना करने के लिए भाजपा नेताओं द्वारा प्रयोग किये गये शब्दों पर कड़ी आपत्ति जताई.