MP में दावेदारों की कुंंडली हो रही तैयार, अमित शाह की टीम प्रदेश में सक्रिय

भोपाल। विधानसभा चुनाव को अभी लगभग आठ-नौ महीने बाकी हैं, लेकिन गुजरात चुनाव से सबक लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश में अपनी टीम उतार दी है। शाह की टीम प्रदेश में विधानसभा चुनाव के टिकट के दावेदारों का फीडबैक जुटा रही है।

हर विधानसभा क्षेत्र में जाकर अमित शाह के लोग जान रहे हैं कि मौजूदा विधायक को दोबारा उतारा तो क्या

फायदे होंगे और क्या नुकसान हो सकते हैं? वहीं कांग्रेस की सीट पर पता कर रहे हैं कि इस सीट पर कौन जीत सकता है।

विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए शाह की टीम प्रदेश में सक्रिय हो गई है। शाह के लोग प्रदेश के कई जिलों में राजनीतिक, गैर राजनीतिक, सामाजिक और कर्मचारी वर्ग के बीच जाकर विधानसभा के प्रत्याशियों के बारे में फीडबैक जुटा रहे हैं। जहां भाजपा विधायक हैं, उनके बारे में लोगों की राय क्या है। इस बारे में भी विस्तृत रूप से रिपोर्ट तैयार की जा रही है। माना जा रहा है कि इसी आधार पर विधानसभा के टिकट तय होंगे।

पटवारी से ले रहे हैं जमीनजायदाद की जानकारी

सर्वे करने आए लोग पटवारी से लेकर तहसीलदार, पुलिस अफसरों से भी मिल रहे हैं। पटवारी से वे मौजूदा विधायक और उनके रिश्तेदारों की बढ़ी सम्पत्ति के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं। पुलिस के पास जाकर आपराधिक तत्वों से रिश्ते और प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से उनकी मदद के बारे में तथ्य जुटाए जा रहे हैं। व्यवहार से लेकर चारित्रिक पक्ष के विषय में भी वे बात कर रहे हैं। गुटबाजी को लेकर सभी के बारे में एक-एक तथ्य को रिकार्ड किया जा रहा है।

चुनाव से ठीक पहले पाटीदार वोट बैंक को बनाए रखने के लिए पार्टी ने आनंदीबेन पटेल को प्रदेश का राज्यपाल बना दिया है। इसके अलावा बालकृष्ण पाटीदार को भी इसी रणनीति के तहत मंत्री बनाया गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव और उससे पहले परोक्ष रूप से आनंदीबेन की भी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। पार्टी और अमित शाह को प्रदेश का असली फीडबैक देने के लिए उनकी मदद ली जाएगी। इसके अलावा कुछ नेता, आईएएस और अन्य क्षेत्र के लोगों को भी इस काम में जोड़ा गया है।

शाह ने दे दी थी चेतावनी

जानकारी के मुताबिक अगस्त में प्रदेश के दौरे पर आए शाह ने विधायक दल की बैठक में सभी को उनके परफॉर्मेंस से अवगत करा दिया था। इससे बाद मुख्यमंत्री ने भी सभी विधायकों को उनकी मैदानी स्थिति के

बारे में बताया। पार्टी के उस दरम्यान कराए गए सर्वे में 70 से ज्यादा विधायक चुनाव नहीं जीतने की स्थिति में बताए गए थे।

खुफिया रिपोर्ट में भी पुष्टि

प्रदेश सरकार ने कुछ महीने पहले जब खुफिया रिपोर्ट हासिल की तो भी बहुत सारे मौजूदा विधायकों की स्थिति ठीक नहीं बताई गई थी।

सर्वे में पूछे जा रहे सवाल

– आपके विधायक कैसे हैं, क्या चुनाव के बाद जनता के बीच आए।

– चुनाव जीतने के बाद विधायक की माली हालत में किस तरह के बदलाव आए। सम्पत्ति कितनी बढ़ी।

– विधायक के प्रति नाराजगी है तो उसकी वजह क्या है।

– विधायक या उनके रिश्तेदारों का असामाजिक तत्वों को समर्थन है या किसी तरह की अनियमित गतिविधियों

में लिप्त हैं।

– विधायक की जगह उनकी पत्नी या रिश्तेदार को टिकट दिया जाए तो कैसा रहेगा।

– आपकी नजर में कौन हो सकता है भाजपा के लिए जिताऊ प्रत्याशी।

– कांग्रेस यहां किसे प्रत्याशी बना सकती है। उसका जातीय गणित या दूसरे समीकरण कैसे हैं।

– इस सीट पर कांग्रेस क्यों जीतती है, क्या वजह है। कांग्रेस विधायक के कामकाज का तरीका क्या है।

– भाजपा से कौन जीत सकता है। कौन प्रत्याशी हो सकता है।

यह सहज प्रक्रिया है

भारतीय जनता पार्टी इस तरह से समय-समय पर संगठन और अन्य माध्यमों के जरिए अपना फीडबैक लेती रहती

है। भाजपा एक सतर्क, जागरूक व जनभावनाओं के प्रति संवेदनशील पार्टी है। इसलिए लगातार फीडबैक लेते रहते हैं। यह हमारी सहज प्रक्रिया है – डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा

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