3 करोड़ से ज्यादा मुकदमे: जस्टिस गोगोई ने जजों की छुट्टी पर लगाई रोक, निकाला यह फॉर्मूला

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने जजों की छुट्टियों के लिए एक नया फॉर्मूला ढूंढा है। अदालतों में लंबित मामलों के बोझ को कम करने के लिए उन्होंने कार्यदिवस के दौरान ‘कोई छुट्टी नहीं’ के फॉर्मूले को निकाला है। देश की न्यायपालिका की त्रिस्तरीय व्यवस्था में करोड़ों लंबित मामले इंसाफ मिलने की राह में रोड़ा बने खड़े हैं। इसकी वजह से न्याय पाने की कतार में खड़े लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।

3 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेने के बाद जस्टिस रंजन गोगोई ने उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और ट्रायल कोर्ट में पड़े 3 करोड़ लंबित मामलों के भार को हल्का करने के लिए कदम उठाने के संकेत दिए थे। एक हफ्ते बाद ही जस्टिस गोगोई ने सभी उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम सदस्यों (मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठ जज) के साथ बातचीत की। 

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने लंबित मामलों में कमी लाने के लिए ‘सख्त कदम’ उठाने के लिए कहा। जस्टिस गोगोई ने जजों को कड़वे डोज की सलाह के तौर पर उच्च न्यायाय के मुख्य न्यायाधीशों को उन जजों को न्यायिक कार्य से हटाने के लिए कहा जो अदालती कार्यवाही के दौरान नियमित नहीं है। उन्होंने उच्च न्यायालय से कहा है कि वह उन जजों के बारे में बताए जो काम के दौरान अनुशासन की अवहेलना कर रहे हैं। उन्होंने वादा किया कि उच्चतम न्यायालय खुद ऐसे जजों से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करेगा। 

जस्टिस गोगोई ने यह साफ कर दिया है कि आपातकालीन परिस्थितियों को छोड़कर उच्च न्यायालय या फिर निचली अदालतों का कोई भी जज कार्यदिवस के दौरान छुट्टी नहीं लेगा। उन्होंने कार्यदिवस के दौरान किसी सेमिनार या आधिकारिक कार्यक्रमों से भी उन्हें दूरी बनाने के लिए कहा है क्योंकि इसके कारण अगले दिन सुनवाई के दौरान सामने आने वाले मामलों का वक्त बर्बाद होता है। 

जस्टिस गोगोई को अपनी केस फाइलों के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता है। वह दलीलों के दौरान वकीलों को नई कहानी गढ़ने का मौका नहीं देते और उन्हें तथ्यों को पेश करने के लिए कहते हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद एक आधिकारिक पत्र के जरिए उन्होंने जजों के एलटीसी लेने पर रोक लगा दी है। जिसका मतलब होता है कि जजों को अपनी पारिवारिक छुट्टियों की पहले से योजना बनाकर, अपने साथी जजों और मुख्य न्यायाधीश के साथ सामंजस्य करना पड़ता है।

वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के जजों को एक साल में तीन एलटीसी मिलती हैं। वहीं शीर्ष नौकरशाहों को चार साल के अंतराल में दो बार एलटीसी मिलती है। इससे पहले साल 2013-14 में मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम ने अपने साथी जजों को कोर्ट के कार्यदिवस के दौरान विदेश दौरे न करने की सलाह दी थी।

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