लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही भाजपा मुख्यालय में मंत्रिपरिषद की विदाई बैठक हुई थी। इस बैठक में ही नई कैबिनेट के गठन में बड़े बदलाव के संकेत मिले थे। अब सवाल यह है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ पार्टी और सरकार के छह सबसे अहम पदों की बागडोर किस-किस के हाथ में जाएगी।
भाजपा अध्यक्ष, लोकसभा स्पीकर, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी कौन उठाएगा, यह सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में है। अरुण जेटली पहले ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर खुद को मंत्री पद की दौड़ से बाहर कर चुके हैं। खराब स्वास्थ्य के चलते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी इस दौड़ में शामिल होना संशय में है।
दूसरी ओर सुमित्रा महाजन ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया था। जिसके चलते लोकसभा स्पीकर का पद भी रिक्त होना है। वहीं, खबरें ऐसी भी आ रही हैं कि पार्टी अध्यक्ष
अमित शाह सरकार की मुख्य धारा में आ सकते हैं। हालांकि, इसकी संभावनाएं कम ही हैं, लेकिन अगर ऐसा होता है तो वह गृह या वित्त मंत्रालय संभाल सकते हैं। शाह के साथ दूसरा मसला यह है कि पार्टी संविधान के अनुसार उन्हें तीन साल का एक और कार्यकाल मिल सकता है, इसलिए वह अभी कैबिनेट का हिस्सा न बनें
इन वरिष्ठ पदों को लिए इन नेताओं को मिल सकती है जिम्मेदारी
गृह मंत्रालय : अमित शाह या राजनाथ सिंह
पिछली सरकार में गृहमंत्री रहे राजनाथ सिंह को अनुभव के आधार पर दोबारा यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, इस मंत्रालय के लिए अमित शाह का नाम भी सामने आ रहा है। अगर अमित शाह सरकार में आना चाहते हैं तो यह मंत्रालय उनके लिए बेहतर साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री पद के बाद गृह मंत्री को सबसे महत्वपूर्ण पदों में एक माना जाता है।
हालांकि, देखा गया है कि अमित शाह ऐसे मंत्रालय को ज्यादा पसंद करते हैं जो जनता से सीधे जुड़े होते हैं। जानकारी के अनुसार अमित शाह जब गुजरात में गृह राज्य मंत्री थे, तब भी उन्होंने नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय दिया जाए। ऐसे में अमित शाह का दूसरी ओर झुकाव राजनाथ सिंह के नाम को और मजबूती देता है।
रक्षा मंत्रालय : राजनाथ सिंह या अमित शाह
इस विभाग के लिए भी जो दो नाम सर्वाधिक चर्चा में हैं उनमें भी अमित शाह और राजनाथ सिंह हैं। गृह मंत्रालय संभालने के दौरान आंतरिक सुरक्षा के विषय में उनकी समझ बेहतर हुई है। हालांकि यहां पर एक पेच यह है कि यदि उन्हें सीसीएम (सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी) में रखना है तो उन्हें गृह मंत्रालय में ही रखना होगा।
वहीं, यदि अमित शाह को यह मंत्रालय मिलता है तो उन्हें संगठन के कार्य पर ध्यान देने का समय भी मिल सकेगा। जो पार्टी और उनके लिए वर्तमान में बहुत आवश्यक है। महत्व की दृष्टि से यह मंत्रालय बहुत अहम है।
लोकसभा स्पीकर : राजनाथ सिंह या संतोष गंगवार
राजनाथ सिंह इस पद के लिए भी बेहतर चयन साबित हो सकते हैं। शायह यही कारण है कि इस पद के लिए भी इनका नाम चर्चा में है। हालांकि, इस पद के लिए जो नाम सबसे ज्यादा उचित माना जा रहा है, वह है संतोष गंगवार। गंगवार उत्तर प्रदेश में बरेली से आठ बार सांसद रहे हैं।
इससे पहले वाजपेयी और मोदी सरकार में वह मंत्री भी रहे हैं। साथ ही विपक्ष में रहते हुए लोकसभा में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। व्यावहारिक रूप से शालीन और सौम्य गंगवार वरिष्ठ होने के बावजूद अभी स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री हैं।
वित्त मंत्रालय : पीयूष गोयल या अमित शाह या नितिन गडकरी
मोदी सरकार का पिछला अंतरिम बजट पेश करने वाले पीयूष गोयल का नाम इस पद के लिए सबसे आगे माना जा रहा है। अरुण जेटली के अस्वस्थ होने पर वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुके गोयल को नजरअंदाज करना पार्टी नेतृत्व के लिए मुश्किल होगा।
हालांकि, चर्चाएं यह भी हैं कि खुद अमित शाह यह मंत्रालय अपने हाथ में ले सकते हैं। चूंकि आर्थिक मोर्चों पर मजबूती सरकार की प्राथमिकता पर रहेगी ऐसे में इस अहम पद का भार शाह को दिया जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर नितिन गडकरी का नाम भी इस पद के लिए लिया जा रहा है।
विदेश मंत्रालय : निर्मला सीतारमण या स्मृति ईरानी
विदेश मामलों की बेहतरीन समझ रखने वाली निर्मला सीतारमण को एक बार फिर रक्षा मंत्रालय मिल सकता है। जैसा उनका कार्यकाल रहा है उस हिसाब से उनसे यह पद वापस लेना तर्क संगत नहीं लगता। महिला शक्ति के उत्थान की बात करने वाले प्रधानमंत्री मोदी उन्हें इसी पद पर तैनात रख सकते हैं।
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके घर अमेठी में हराने वाली स्मृति ईरानी का नाम भी इस पद के लिए चर्चा में है। ईरानी इससे पहसे मानव संसाधन, सूचना प्रसारण और टेक्सटाइल मंत्रालय संभाल चुकी हैं।
भाजपा अध्यक्ष : भूपेंद्र यादव या जेपी नड्डा
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जो दो नाम चर्चा में हैं वह हैं भूपेंद्र यादव और जगत प्रकाश नड्डा। नड्डा जहां पिछली बार भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद की दौड़ में थे, लेकिन बाजी अमित शाह मार ले गए थे। नड्डा ने उत्तर प्रदेश का प्रभारी रहते हुए पार्टी को प्रदेश में शानदार जीत दिलाई। वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव के नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ काफी अच्छे संबंध हैं। उनका नाम भी इस दौड़ में शामिल है।