मोदी सरकार के बजट से लग सकता हैं आपको बड़ा झटका, धीरे-धीरे दिखेगा असर…

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करते हुए संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने, देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन देने और कृषि उत्पादों के बाजार की मजबूती के उपायों की घोषणा की. दरअसल, कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को जो झटका लगा है, उसकी तस्वीर सबके सामने है.

कोरोना संकट से सरकार के खजाने पर भारी दबाव है और इससे निपटने के लिए बजट में कुछ सख्त और अलग कदम उठाए गए हैं. जानकार भी बता रहे हैं कि इस बार का बजट पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अलग है. भले ही इस बार के बजट में आम आदमी पर किसी तरह के टैक्स का बोझ नहीं डाला गया है. लेकिन कुछ ऐसे फैसले लिए गए हैं, जिससे आम आदमी की जेब पर जरूर असर होगा.

पहला झटका 
बजट में सूती, रेशम, मक्का छिलका, चुनिंदा रत्नों और आभूषणों, वाहनों के विशिष्ट कलपुर्जों, स्क्रू और नट पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है. इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली, वायर व केबल, सोलर इन्वर्टर और सोलर लैंप पर भी सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की गई है. आत्मनिर्भर भारत की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने मोबाइल सेट और चार्जर पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे ये चीजें महंगी हो जाएगी. बजट में शराब पर एग्री इंफ्रा सेस 100 फीसदी लगा दिया है

दूसरा झटका 
पेट्रोल-डीजल की महंगाई से परेशान लोगों को उम्मीद थी कि बजट में सरकार एक्साइज ड्यूटी घटाकर उन्हें राहत देगी. उम्मीद के मुताबिक एक्साइज ड्यूटी घटाई भी गई. लेकिन दाम फिर भी कम नहीं हुए क्योंकि घटे उत्पाद शुल्क की जगह सेस आ गया है. पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर कृषि सेस और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर कृषि सेस लगाया गया है.

फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 86 रुपये 30 पैसे प्रति लीटर है. इसमें तेल की बेसिक प्राइस सिर्फ 29.96 रुपये है. यानी 56 रुपये 34 पैसे टैक्स में जा रहा है. करीब 37 पैसे अन्य खर्च माना जा रहा है. वहीं एक्साइज ड्यूटी 32 रुपये 98 पैसे है. डीलर कमीशन की बात करें तो ये 3 रुपये 67 पैसे है. वैट 19 रुपये 32 पैसे है. देश में 2019 में पेट्रोल की कुल कीमत में टैक्स की हिस्सेदारी 47 परसेंट थी जो 2020 में बढ़कर 60 फीसदी हो गई है.

तीसरा झटका
बजट 2021 के ऐलान के बाद प्रोविडेंट फंड (PF) में निवेश करने वालों को झटका लगा है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि अब एक वित्त वर्ष में केवल 2.5 लाख रुपये तक निवेश करने पर ही टैक्स में छूट का लाभ मिलेगा. यानी इससे अधिक निवेश किया है तो ब्याज से कमाई टैक्स के दायरे में आएगी. फिलहाल पीएफ पर ब्याज दर 8 प्रतिशत है और ब्याज से होने वाली इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री है. हालांकि, अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) पर कर छूट देने की घोषणा की है, बशर्ते व्यक्ति ने निर्धारित प्रकार के यात्रा खर्च किए हों.

चौथा झटका
बजट में जीवन बीमा निगम (LIC) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) समेत सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों की बिक्री और निजीकरण के जरिये अगले वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है, इसके अलावा दो सरकारी बैंकों को बेचने का ऐलान किया गया है. कुछ पब्लिक सेक्टर यूनिट का निजीकरण होगा, जबकि कुछ का विनिवेश होगा, जिसमें सरकार अपनी हिस्सेदारी को बेचेगी. 

एयर इंडिया और BPCL की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्लान है. इसके अलावा बंदरगाह, बिजली के संसाधन, हाइवे, रेलवे, गेल, इंडियन ऑयल की पाइपलाइन, स्टेडियम, भेल, BEML, कोनकोर और शिपिंग कॉर्पोरेशन में विनिवेश की तैयारी है. यानी हिस्सेदारी बेची जाएगी. विपक्ष का आरोप है कि सरकारी संपत्तियां बेचकर खजाना भरने की तैयारी है.  

पांचवां झटका

एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी को बेचने का ऐलान किया गया है. इसके अलावा इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया गया है. इससे विदेशी कंपनियों का भारत में वर्चस्व बढ़ेगा. वहीं बजट में आयकर के पुन: आकलन के लिए समयसीमा को घटाकर तीन साल कर दिया गया है. अब तक 6 साल पुराने मामलों को दोबारा खोला जा सकता था. लेकिन अगर किसी साल में 50 लाख रुपये या इससे अधिक की अघोषित आय के सबूत मिलते हैं, तो उस मामले में 10 साल तक तक भी पुन: आकलन किया जा सकता है.

कुल मिलाकर वित्त मंत्री के 1 घंटे 48 मिनट लंबे बजट भाषण को अगर तीन लाइनों में समेटें तो अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए संसाधनों को बेचने वाली नीति अपनानी होगी. आम आदमी को डीजल और पेट्रोल के दाम कम होने और टैक्स कम होने का ख्याल फिलहाल दिमाग से निकालना होगा. स्वास्थ्य, सड़क, इंफ्रास्ट्रक्चर और रेलवे में पैसा लगने से अर्थव्यवस्था को बूस्टर मिलेगा.

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