गोंडा ग्राम पंचायतों में लागू नहीं हो पा रहा मोबाइल मानीटरिग सिस्टम…

मकसद था मनरेगा में मजदूरों की हाजिरी दर्ज करने में गड़बड़ी रोकने का। इसके लिए दो वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों में मोबाइल मानीटरिग सिस्टम (एमएमएस) लागू करने का निर्देश दिया था, लेकिन दो वर्ष बाद भी पंचायतों में यह सिस्टम अभी पूरी तरह से लागू नहीं हो सका। नतीजा यह है कि अभी भी मनरेगा में मजदूरों की हाजिरी दर्ज करने में मनमानी रुक नहीं पा रही है। इनसेट

आंकड़ों पर एक नजर

-04 तहसील

-16 ब्लॉक

-1214 ग्राम पंचायत

-1815 राजस्व ग्राम

-883 तैनात रोजगार सेवक

-2.50 लाख जॉबकार्ड धारक क्या है एमएमएस

– मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी) योजना में मजदूरों की हाजिरी दर्ज करने की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत के रोजगार सेवक को सौंपी गई है। शासन स्तर पर इस आशय की शिकायत मिल रही थी कि रोजगार बिना कार्यस्थल पर गए ही मनचाही हाजिरी दर्ज कर देते हैं। ऐसे में कई बार मृतक व जेल में बंद लोगों के खाते में भी भुगतान कर दिया गया। मोबाइल मानीटरिग सिस्टम (एमएमएस) के जरिए रोजगार सेवक बिना कार्यस्थल पर गए आनलाइन मजदूरों की हाजिरी नहीं दर्ज कर सकते। फिलहाल, सीडीओ शशांक त्रिपाठी ने बीडीओ को एमएमएस लागू कराने के निर्देश दिए हैं।

सिर्फ 393 मोबाइल पंजीकृत

– मनरेगा का संचालन जिले की 1214 ग्राम पंचायतों में होता है, लेकिन एमएमएस के तहत वेबसाइट पर सिर्फ 393 मोबाइल ही पंजीकृत है। जबकि, जिले में आठ सौ से अधिक रोजगार सेवक तैनात हैं। पंजीकरण के सापेक्ष सिर्फ 81 मोबाइल ही एक्टिव हैं। बेलसर व वजीरगंज में एमएमएस एक्टिव ही नहीं है।

हस्ताक्षर या अंगूठा लगाते हैं मजदूर

– मनरेगा के तहत प्रत्येक परिवार को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। मजदूरों को कार्य करने के लिए ग्राम पंचायत से रोजगार की मांग करना होता है। इसके बाद पंचायत रोजगार देने के लिए मस्टर रोल जारी करने की डिमांड करती है। निर्धारित तिथि के अनुसार मजदूरों कार्य करते हैं, जिसकी हाजिरी रोजगार सेवक मस्टर रोल में दर्ज कराने के साथ ही हस्ताक्षर/निशानी अंगूठा लगाते हैं। रोजगार की सूचना जॉबकार्ड में भी दर्ज करने की व्यवस्था है।

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