मिशन 2019: उपेंद्र कुशवाहा की सीट पर JDU की पैनी नजर, मंत्री जयकुमार हो सकते उम्‍मीदवार

पटना । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ तीखे तेवर अपनाए केंद्रीय मंत्री व राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुमार कुशवाहा की राह में बिहार के उद्योग मंत्री जयकुमार सिंह रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं। काराकाट संसदीय क्षेत्र में उनकी दावेदारी के पक्ष में सोशल मीडिया पर जबर्दस्त अभियान चल रहा है। ऐसे में कुशवाहा की काराकाट सीट पर पेंच फंस जाए तो आश्‍चर्य नहीं। वहां मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार जदयू उम्‍मीदवार दे सकते हैं।

नीतीश कैबिनेट में जनता दय यूनाइटेढ (जदयू) से राजपूत कोटे से जयकुमार सिंह इकलौते मंत्री हैं। इस वजह से पिछले कुछ वर्षों से पार्टी के अंदर भी उनका कद बढ़ गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जयकुमार सिंह पार्टी के कुछ अन्य सहयोगी नेताओं के साथ समाज का मूड भांपने के लिए तीन अक्टूबर से ही उत्तर बिहार के दौरे पर हैं। सीतामढ़ी और शिवहर के कई गांवों का मिजाज जानने के बाद वे गोपालगंज में थे। मोतिहारी और मुजफ्फरपुर के बाद एक-दो दिनों में वे पटना लौटेंगे।

दौरा में कई अन्‍य नेताओं-विधायकों का मिल रहा साथ

दशहरा बाद दूसरे चरण के अभियान में वे आरा, बक्सर, सासाराम एवं औरंगाबाद समेत आठ जिलों के दौरे पर निकलेंगे। पूर्व मंत्री लेसी सिंह, विधायक अशोक सिंह, कविता सिंह, पूर्व विधायक मंजीत सिंह और महेश्वर सिंह भी साथ रहेंगे।

पार्टी ने टिकट दिया तो काराकाट से चुनाव लड़ेंगे जयकुमार

काराकाट से चुनाव लडऩे के संबंध में पूछे जाने पर जयकुमार सिंह ने कहा कि काराकाट उनका घर है। वहां अकेले ढ़ाई लाख से अधिक राजपूत वोट हैं। सवर्ण मतदाताओं की संख्या साढ़े चार लाख से अधिक है। ऐसे में पार्टी ने टिकट दिया तो लोकसभा का चुनाव अवश्य लड़ेंगे। टिकट का फैसला राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नेताओं को करना है। उन्‍होंने कहा कि अगर वे वहां से चुनाव लड़े तो जीत सुनिश्चित है। वैसे भी वहां से 1962 में रामसुभग सिंह, 1980 एवं 1984 में तपेश्वर सिंह तथा 1998 में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने जीत दर्ज की थी।

सवर्ण समाज की प्रतिक्रिया भांप रही पार्टी

सूत्रों के मुताबिक जदयू नेतृत्व ने एससी-एसटी कानून में संशोधन के बाद सवर्ण समुदाय में हो रही प्रतिक्रिया के आकलन की जिम्मेदारी एक रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट को दी है। पिछले शनिवार को उनके आवास पर इस समाज के कुछ नेताओं को बुलाया गया था, ताकि राजपूत बहुल इलाकों का दौरा कर पार्टी के नेता ऐसे संसदीय क्षेत्रों से गठबंधन में रहते हुए दल के प्रत्याशी के लिए चुनाव लडऩे की संभावना तलाश करें।

जदयू से सतर्क दिख रहे उपेंद्र कुशवाहा

उधर, रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अपने हमलावर तेवर को लेकर जदयू से होने वाली संभावित प्रतिक्रिया को ले सतर्क हैं। उनके समर्थक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले चार साल में काराकाट संसदीय क्षेत्र में हुए विकास कार्यों की उपलब्धियों के आधार एक बार फिर से समर्थन मिलने को लेकर आश्वस्त हैं।

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