यक्रेन के खारकीव शहर में फंसे हुए हैं कुरुक्षेत्र के अनेकों छात्र, अपने लाडलों को सुरक्षित लाने के लिए परिजन लगा रहे सरकार से गुहार….

रूस यूक्रेन युद्ध के चलते वहां फंसे भारतीय छात्रों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। एक ओर जहां यूक्रेन में रह रहे छात्र जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनके परिजन यहां परेशान हैं। परिजन अपने लाडलों को सकुशल भारत लाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। कुरुक्षेत्र के भी अनेकों छात्र जो यूके्रन में डाक्टरी की पढाई करने के लिए गए थे, वहां फंसे हुए हैं। फंसे हुए छात्रों के परिजन सामने नहीं आ रहे हैं। सेक्टर 8 के माता पिता जिनके बेटे सत्यम यूक्रेन में फंसे हुए हैं।

सत्यम के पिता रिटायर्ड सूबेदार रमेश ने बताया कि उसका बेटा चार साल पहले यूक्रेन के शहर खारकीव में एमबीबीएस की पढाई करने के लिए गया था। यूके्रन में युद्ध के चलते उनका लाडला अपनी जान बचाने के लिए बंकर में रह रहा है। उन्हें अपने बेटे की चिंता लगातार सता रही है।

सत्यम के पिता रमेश ने बताया कि 4 सितंबर को उसका बेटा तकरीबन एक महीने की छुट्टी बिताकर यूक्रेन गया था। सेक्टर 8 में रहने वाले रमेश ने बताया कि कुरुक्षेत्र के ऐसे काफी छात्र हैं जो यूक्रेन के खारकिन में एमबीबीएस की पढाई कर रहे हैं। बृहस्पतिवार को जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला है, वहां स्थिति गंभीर बनी हुई है। यूक्रेन पर हवाई हमले होने से वहां पर गोला बारूद बरस रहा है। ऐसे में भारतीय छात्रों के साथ साथ उनके बेटे की जान को खतरा बना हुआ है। रमेश ने बताया कि शुक्रवार को दोपहर चार बजे उनकी अपने बेटे सत्यम से बातचीत हुई थी और उसने बताया था कि वे अपनी जान बचाने के लिए एक बंकर में रह रहे हैं। रमेश ने हरियाणा सरकार व भारत सरकार से गुहार लगाई है कि उनके बेटे को सुरक्षित भारत लाया जाए।

सत्यम की मां शशि बाला भी अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर काफी चितिंत है। उसका कहना है कि बेटे की चिंता लगातार सता रही है। भारत सरकार छात्रों को यूके्रन से लाने के लिए फौरी तौर पर कोई कदम उठाए। रमेश ने बताया कि अभी तक प्रशासन की ओर से किसी भी अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया है।

रूसी हमलों से बना हुआ है अफरातफरी का माहौल

यूके्रन के शहर खारकिन में एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण कर रहे सत्यम से जागरण प्रतिनिधि ने शुक्रवार को सीधी बातचीत की। सत्यम ने बताया कि बाहर रूसी हमलों की भरमार है। जहां पर वे रह रहे हैं, उसके पांच किलोमीटर पर आर्मी बेस कैंप है, जिसे रूसी सैनिकों ने तबाह कर दिया है। वे जान बचाने के लिए एक बंकर में रह रहे हैं। बंकर के पास ही उनका फ्लैट है। बमबारी बंद होने के बाद वे फ्लैट पर जाकर कुछ खाने के लिए लाते हैं। फिर से वे बंकर में आकर छिप जाते हैं। उनके साथ बंकर में तकरीबन 70 इंडियन छात्र हैं। धमाकों की आवाज से अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। वे इसलिए फ्लैट पर रहना नहीं चाहते, क्योंकि कभी भी मिसाइल हमला हो सकता है। सत्यम ने बताया कि उनके पास पोलेंड के रास्ते यहां से बाहर निकालने का दूतावास की ओर से मैसेज आया था, लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया है। उनके सामने यहां से सुरक्षित निकलने की एक ही उम्मीद है कि पोलेंड के रास्ते से ही वे यहां से बाहर सुरक्षित निकल सकते हैं।

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