एपीएस की जांच में फंस सकते हैं कई मौजूदा अफसर

अपर निजी सचिव (एपीएस) परीक्षा-2010 की सीबीआई ने जांच की तो इसमें उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) और शासन स्तर के कई अफसर भी फंस सकते हैं। सीबीआई को भले ही इस परीक्षा की जांच के लिए अधिकारिक रूप से मंजूरी का इंतजार हो लेकिन अब तक मिली शिकायतों के आधार पर सीबीआई ने परीक्षा से जुड़े जो दस्तावेज खंगाले हैं, वे परीक्षा में गड़बड़ी की ओर साफ इशारा कर रहे हैं।

परीक्षा का विज्ञापन 10 दिसंबर 2013 में जारी किया गया था लेकिन परीक्षा के विभिन्न चरणों का आयोजन वर्ष 2013 से 2017 के बीच हुआ। सीबीआई अप्रैल 2012 से मार्च 2017 के बीच आए परिणामों की जांच कर रही है। इस परीक्षा का परिणाम भी मार्च 2017 के पहले ही तैयार कर लिया गया था लेकिन उसी वक्त सीबीआई जांच की घोषणा हो गई और परिणाम रोक दिया गया। परिणाम तीन अक्तूबर 2017 को जारी किया गया। अब कुछ अफसर इस तर्क के साथ सीबीआई जांच को खारिज कर रहे हैं कि परीक्षा का परिणाम उस अवधि में जारी जो, सीबीआई जांच के दायरे में नहीं है।

वहीं, सीबीआई ने परीक्षा की आधिकारिक रूप से जांच की अनुमति तभी मांगी, जब उसे परीक्षा में हुई धांधली के कई ठोस सुबूत मिल चुके थे। सूत्रों का कहना है कि शिकायतों के आधार पर सीबीआई ने अपने स्तर से प्रारंभिक जांच की और उसे गड़बड़ी के सुबूत भी मिले। सत्रों के मुताबिक इस परीक्षा के जरिये अस्सी फीसदी चयनित अभ्यर्थी ऐसे हैं, जो शासन स्तर के किसी अफसर या आयोग के किसी अफसर के करीबी रिश्तेदार हैं। इनमें से कई अफसर अब भी प्रभावशाली पदों पर बैठे हैं और यह जानते हैं कि जांच हुई तो फंसना तय है। वहीं, सीबीआई परीक्षा में धांधली करने वालों के खिलाफ सीधी कार्रवाई तभी कर सकती है, जब सरकार उसे आधिकारिक रूप से जांच की मंजूरी दे।

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