मनसा देवी मंदिर के पुजारियों और सेवादारों के लिए अब लागु होगा ड्रेस कोड

हरिद्वार : मां वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर मनसा देवी मंदिर के विकास की योजना तैयार की जा रही है। मंदिर की मान-प्रतिष्ठा के साथ आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाएगा। मंदिर परिसर की साफ-सफाई की व्यवस्था को भी नए सिरे से विकसित किया जाएगा। मंदिर परिसर में पुजारी और सेवादारों को मंदिर ट्रस्ट की ओर से निर्धारित ड्रेस पहनना अनिवार्य होगा। पूजा कराने वालों को पैंट शर्ट या जींस पहनने पर पाबंदी होगी। धोती और केसरिया कुर्ता या बनियान ही अनिवार्य की जाएगी।

मनसा देवी ट्रस्ट के हालिया अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज ने ट्रस्ट की बैठक के बाद पत्रकारों को अनौपचारिक बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय नववर्ष और नवरात्र के पहले दिन उन्होंने मंदिर व्यवस्था में सुधार के लिए संकल्प लिया है। इसे पूरा कराएंगे। मनसा देवी मंदिर में पूजा काम में लगे पुजारियों को सनातन हिंदू कर्मकांड वेद मंत्र और मंत्रोच्चारण की पूरी जानकारी होना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा कि जिन पुजारियों या पूजा के काम में लगे सेवादारों को यह काम नहीं आता है, उनके लिए ट्रस्ट की ओर से शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। उन्हें एक माह के भीतर इसमें पारंगत होना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर उनसे पूजा और कर्मकांड इत्यादि का दायित्व लेकर उन्हें अन्य कार्यों में लगा दिया जाएगा।

ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज ने बताया कि यह कदम आने वाले श्रद्धालुओं की ओर से मिल रही लगातार शिकायतों और सुझावों के आधार पर उठाया गया है। कहा कि उनका प्रयास माता मनसा देवी मंदिर परिसर को एक आदर्श शक्तिपीठ और धर्म स्थल के रूप में विकसित करना है। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालु मन और चित्त शांतकर आध्यात्मिक शांति पा सकें।

उन्होंने बताया कि मंदिर के पुजारियों और सेवादारों के लिए निर्धारित ड्रेस पर माता मनसा देवी ट्रस्ट की मुहर लगी होगी। जिससे वह दूर से ही पहचाने जा सकें। महंत रवींद्र पुरी महाराज ने बताया ट्रस्ट द्वारा निर्धारित ड्रेस पहनना सभी के लिए अनिवार्य होगा। ट्रस्ट इसे उपलब्ध कराएगा।

माता मनसा देवी ट्रस्ट अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि ट्रस्ट ने मंदिर परिसर में प्रतिबंधित श्रेणी के प्लास्टिक और पॉलीथिन के इस्तेमाल व बिक्री को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई भी मंदिर परिसर में इसका इस्तेमाल या बिक्री करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ ही एक हजार रुपये का अर्थदंड भी वसूला जाएगा। उन्होंने साफ किया कि यह नियम मंदिर परिसर में काम

कर रहे पुजारियों, सेवादारों, दुकानों और आने वाले श्रद्धालुओं पर एक समान रूप से लागू होगा।

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