तकनीक की मदद से रोगियों में मधुमेह का प्रबंधन बेहतर, जोखिम 30 प्रतिशत घटा

तकनीक की मदद से रोगियों में मधुमेह का प्रबंधन बेहतर हुआ। ऐसे रोगियों में होने वाले हृदय रोग, स्ट्रोक, दृश्य हानि, किडनी रोग, तंत्रिका में क्षति सहित दूसरे विकार होने की आशंका 30 फीसदी तक घट गई है। 

दरअसल, दक्षिण एशिया में कार्डियोवैस्कुलर जोखिम न्यूनीकरण केंद्र ने भारत और पाकिस्तान में टाइप- 2 मधुमेह के 1100 से अधिक रोगियों पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में मधुमेह के प्रबंधन के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड के साथ नैदानिक निर्णय समर्थन सॉफ्टवेयर (सीडीएसएस) का सहारा लिया गया। यह अध्ययन साढ़े छह साल तक चला। अध्ययन के लिए मरीजों को दो ग्रुप में बाटा गया। पहले ग्रुप में शामिल हुए आधे मरीजों को सामान्य तरीके से इलाज दिया गया।

वहीं दूसरे ग्रुप के मरीजों के इलाज के लिए सॉफ्टवेयर की भी सहायता ली गई गई। अध्ययन में शामिल एम्स के एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म विभाग के प्रोफेसर डॉ. निखिल टंडन ने बताया कि देश में बढ़ते मधुमेह की समस्या की रोकथाम के लिए प्रबंधन जरूरी है। इसे प्रभावी बनाने के लिए 10 अस्पतालों के 1146 मरीजों पर अध्ययन किया गया। अध्ययन में शामिल मरीजों को दो ग्रुप में बाटा गया। एक ग्रुप को पहले की तरह इलाज दिया गया।

वहीं, दूसरे ग्रुप में शामिल मरीजों की हिस्ट्री, उन्हें होने वाली परेशानी व दूसरे कारणों को सॉफ्टवेयर में अपडेट किया गया। इस सॉफ्टवेयर ने उक्त जानकारी का विश्लेषण कर डॉक्टरों को सुधार के लिए सलाह दी। डॉक्टर ने उक्त दी गई सलाह की जांच कर इलाज में बदलाव किया। डॉ. टंडन ने कहा कि साढ़े छह साल बाद जांच में पाया गया कि जिस ग्रुप में मधुमेह के प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर की मदद ली गई, उन मरीजों में मधुमेह के कारण होने वाले विकार 30 फीसदी तक कम पाए गए।

भविष्य में आ सकता है एआई 
डॉ. टंडन ने कहा कि मौजूदा सॉफ्टवेयर पहले से फीड डेटा के आधार पर सुझाव देता है। आने वाले दिनों में इस सॉफ्टवेयर को एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) बेस बनाया जा सकता है। इसे लेकर दूसरे जगहों पर काम हो रहे हैं। एआई आधारित तकनीक विकसित होने पर मधुमेह मरीजों का प्रबंधन और बेहतर हो जाएगा। यह विश्लेषण के साथ तकनीकी सुझाव भी दे सकेगी। 

देशभर में मददगार होगी तकनीक 
डॉ. टंडन ने कहा कि सरकार देशभर के लोगों का इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड तैयार कर रही है। इस तकनीक की मदद से पूरे देश में मधुमेह के अलावा उच्च रक्तचाप व कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन आसान हो जाएगा। इन मरीजों पर नजर रहेगी। इसकी मदद से मरीजों में होने वाली दिक्कत व उनके देखभाल को लेकर भी बेहतर व्यवस्था की जा सकेगी। ऐसा करने से देश के स्वास्थ्य सुविधाओं पर मरीजों का बोझ कम होगा। मधुमेह, उच्च रक्तचाप सहित दूसरे विकारों के इलाज के लिए देश में पर्याप्त डॉक्टर नहीं है। डॉक्टरों के अभाव में सभी मरीजों को उपयुक्त इलाज नहीं मिल पाता।

सॉफ्टवेयर में यह किया गया अपडेट
मरीज की क्या दवा चल ही है।
दवा की डोज की मात्रा क्या है।
खाने के बाद उसे क्या दिक्कत हो रही है।
शरीर में कोई एलर्जी या रिएक्शन हुआ।

देश में तेजी से बढ़ रहा है मधुमेह
देश में मधुमेह का रोग तेजी से बढ़ रहा है। अस्पताल आ रहे मरीजों में युवाओं की संख्या भी बढ़ रही है। इस अध्ययन में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में सात में से एक मौत मधुमेह के कारण होती है।

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