मालदीव राष्ट्रपति चुनाव में यामीन को मिली हार, भारत समर्थक इब्राहिम मोहम्मद सोलिह जीते

भारत के लिए हिंद महासागर में खास अहमियत रखने वाले पड़ोसी द्वीप समूह देश मालदीव से खुशखबरी आई है। रविवार को विवादित चुनाव के बाद मतदान में चीन के कट्टर समर्थक समझे जाने वाले वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के मुकाबले भारत से मजबूत संबंधों के पक्षधर कहे जाने वाले विपक्षी नेता इब्राहिम मोहम्मद सालेह को चुनाव में जीत मिली है। 

मालदीव राष्ट्रपति चुनाव परिणाम की सोमवार तड़के हुई घोषणा में विपक्ष के उम्मीदवार इब्राहीम मोहम्मद सालेह को जीत मिली है। सालेह को मिली जीत से सभी आश्चर्यचकित हैं क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान वहां मौजूद पर्यवेक्षकों का आरोप था कि निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने अपनी जीत पक्की करने के लिए गड़बड़ियां की हैं। चुनाव आयोग द्वारा सोमवार की सुबह घोषित परिणाम के अनुसार, सालेह को 58.3 प्रतिशत मत मिले हैं।

सालेह की जीत की घोषणा होने के साथ ही सड़कें विपक्ष के समर्थकों से भर गयीं। सभी अपने हाथों में सालेह की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के पीले झंडे लिये नाच रहे थे। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद यामीन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।

सालेह को विपक्ष का समर्थन प्राप्त था। रविवार को हुए चुनाव में और कोई उम्मीदवार नहीं था क्योंकि ज्यादातर लोगों को सरकार ने जेल में डाल दिया था या निर्वासित कर दिया था। इससे पहले, देर रात सालेह ने बढ़त मिलने के बाद यामीन को फोन करके जनमत का सम्मान करने और हार स्वीकार करने को कहा था।

सालेह ने टीवी पर प्रसारित अपने भाषण में कहा था, ‘‘मैंने यामीन को फोन करके जनमत का सम्मान करने और सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की बात कही।’’ उन्होंने यामीन से सभी राजनीतिक कैदियों को तुरंत रिहा करने को कहा।

भारत ने आधिकारिक घोषणा के बिना ही मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का स्वागत किया है। इस सिलसिले में विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है, ‘हम मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया के सफल समापन का स्वागत करते हैं। जिसमें शुरुआती जानकारी के अनुसार मोहम्मद सालेह को जीत मिली है। हम उन्हें दिल से जीत पर बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही चुनाव आयोग आधिकारिक तौर पर नतीजों की पुष्टि करेगा।’

मंत्रालय के बयान में आगे कहा गया है, ‘यह चुनाव न केवल मालदीव में लोकतांत्रिक ताकतों की जीत का प्रतीक हैं बल्कि लोकतंत्र और कानून के शासन के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं। हमारी ‘पड़ोसी पहले’ की नीति को ध्यान में रखते हुए, भारत साझेदारी को और गहरा बनाने में मालदीव के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता है।’

वहीं सालेह ने कहा, ‘मैं यामीन से कहना चाहूंगा कि वह लोगों की इच्छा का सम्मान करें और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण कर दें।’ इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक बंदियों को भी रिहा करने की अपील की है। यामीन की तरफ से चुनावों में मीडिया पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे, जिससे इन चुनावों में धोखाधड़ी किए जाने की संभावना जताई जा रही थी। चुनावों पर भारत और चीन के अलावा यूरोपीय संघ और अमेरिका भी कड़ी नजर रखे हुआ था।

बता दें कि यामीन के पहले कार्यकाल में विपक्षी राजनीतिक पार्टियों, अदालतों और मीडिया पर कड़ी कार्यवाही की गई है। इस साल फरवरी में देश में आपातकाल लागू करके संविधान को निलंबित कर दिया गया था। यामीन के खिलाफ महाभियोग चलाने की कोशिश करने वाले सांसदों को रोकने के लिए सैनिकों को भेजकर मौजूदा राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंतित कर दिया था। कई वरिष्ठ जजों और प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था।

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