रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने से सेंसेक्स में साल की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट

रुपए की गिरावट का भारी असर सोमवार शेयर बाजार में देखने को मिला. बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सोमवार को 468 अंक या 1.22 प्रतिशत के नुकसान से 38,000 अंक से नीचे आ गया. रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आने और चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़ने से सेंसेक्स की धारणा प्रभावित हुई. बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 467.65 अंक या 1.22 प्रतिशत के नुकसान से 37,922.17 अंक पर आ गया. यह 16 मार्च के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है. उस दिन सेंसेक्स 509.54 अंक टूटा था.

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 151 अंक या 1.30 प्रतिशत टूटकर 11,500 अंक से नीचे 11,438.10 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान निफ्टी 11,427.30 अंक के निचले स्तर तक भी गया. यह 6 फरवरी के बाद निफ्टी की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है.

अमेरिका चीन के बीच व्यापार विवाद गहराने के बीच वैश्विक बाजारों के नकारात्मक संकेतों से यहां भी बाजार धारणा प्रभावित हुई. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह चीन से सभी तरह के आयात पर शुल्क लगाने की चेतावनी दी है. वहीं चीन ने कहा है कि यदि अमेरिका ऐसा कोई कदम उठाता है तो वह भी जवाबी कदम उठाएगा.

मूडीज ने सोमवार को कहा कि रुपए में लगातार गिरावट भारतीय कंपनियों के साख की दृष्टि से नकारात्मक है. इससे भी बाजार की धारणा पर असर पड़ा. इस बीच, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में देश का चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़कर 15.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 15 अरब डॉलर पर था.

– बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट रही
– बीएसई का मिडकैप सूचकांक 277.02 अंकों की गिरावट के साथ 16,227.84 पर रहा
– स्मॉलकैप सूचकांक 180.01 अंकों की गिरावट के साथ 16,716.94 पर बंद हुआ
-नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 18.85 अंकों की गिरावट के साथ 11,570.25 पर खुला
– निफ्टी 151.00 अंकों या 1.30 फीसदी गिरावट के साथ 11,438.10 पर बंद हुआ
– दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 11,573.00 के ऊपरी और 11,427.30 के निचले स्तर को छुआ
– एसई के 19 में से एक सेक्टर- सूचना प्रौद्योगिकी (0.02 फीसदी) में तेजी रही
– बीएसई के गिरावट वाले सेक्टरों में प्रमुख रहे- वाहन (1.75 फीसदी), धातु (1.74 फीसदी), ऊर्जा (1.67 फीसदी), तेज खपत उपभोक्ता वस्तुएं (1.65 फीसदी) और आधारभूत सामग्री (1.64 फीसदी) रहा

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