दुनिया के अलग-अलग देशो में लंच में खाते हैं ऐसी-ऐसी चीज, जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे

दुनिया में किसी भी संस्कृति को समझना हो तो ये देखिए कि वहां के लोग लंच कैसे करते हैं, कब करते हैं, कहां करते हैं और लंच क्या करते हैं। बीबीसी ने भी दुनिया के कुछ शहरों में रहने वाले लोगों से जाना कि वो लंच कैसे करते हैं और क्या करते हैं।

दुनिया के अलग-अलग देशो में लंच में  खाते हैं ऐसी-ऐसी चीज, जानेंगे तो हैरान रह जाएंगेचलिए आपको इस दिलचस्प तजुर्बे से रूबरू कराते हैं।

मुंबई के रहने वाले मुकुल पारेख एक एकाउंटिंग कंपनी में ऑफिस मैनेजर हैं। मुकुल कहते हैं कि लंच करने के लिए वक्त दिनों-दिन कम होता जा रहा है। इसके लिए वो दफ्तर में काम के बोझ और अक्सर लगने वाले जाम को जिम्मेदार मानते हैं। मुकुल रोजाना दोपहर में अपने दफ्तर में लंच करते हैं। इसमें वो करीब आधे घंटे का वक्त खर्च करते हैं। आम तौर पर मुकुल घर से अपना लंच साथ लाते हैं। लेकिन कई बार वो मुंबई के मशहूर डब्बावालों की सेवाएं भी लेते हैं। ये डब्बेवाले लोगों के घरों से लंच को उनके दफ्तर तक पहुंचाते हैं। ये सेवा करीब एक सदी से चल रही है।

मुंबई के डब्बेवाले दुनिया भर में मशहूर हैं कि वो बिना गलती किए रोजाना हजारों लंच बॉक्स लोगों के घर से उनके दफ्तर पहुंचाते हैं। 100 डब्बों में से गलती की संभावना 3.4 डब्बों के साथ होने की ही रहती है।

सारा गिमोनो, एमबाले, युगांडा-

भारत की तरह अफ्रीकी देश युगांडा में भी लंच करने की रफ्तार बहुत तेज है। यहां भी रफ्तार भरी जिंदगी जीने वाले लोग लंच के लिए मुश्किल से वक्त निकाल पाते हैं। युगांडा के एमबाले शहर में काम करने वाली सारा गिमोनो एक एनजीओ से जुड़ी हैं। वो कहती हैं कि लोग जल्द से जल्द लंच करके काम पर लग जाना चाहते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा काम कर सकें। हालांकि कोई लंच स्किप नहीं करता। सारा बताती हैं कि युगांडा में लोग डिनर को ज्यादा अहमियत नहीं देते। सारा रोजाना आधे घंटे का वक्त लंच पर खर्च करती हैं। वो इसके लिए अक्सर अपने दफ्तर के पास के रेस्टोरेंट में जाती हैं।

सारा कहती हैं कि युगांडा में भी भारत की तरह ही लोग दफ्तर में ही अपना लंच निपटाते हैं। कुछ लोग अपने साथियों के साथ होटलों-रेस्त्रां में जाकर लंच करते हैं। सारा कहती हैं कि युगांडा में स्ट्रीट फूड का भी खूब चलन है। वो खुद अक्सर फील्ड वर्क के दौरान रोलेक्स खाती हैं। रोलेक्स एक चपाती होती है, जिसमें अंडे, टमाटर और प्याज के टुकड़े डालकर रोल करके सेंका जाता है।

वनीसा मोनरॉय, न्यूयॉर्क, अमरीका-

न्यूयॉर्क की रहने वाली वनीसा की उम्र चालीस बरस है, वो पेशेवर डॉग वाकर हैं। यानी बड़े लोगों के कुत्तों को टहलाने का काम करती हैं। वो कहती हैं कि न्यूयॉर्क में अक्सर लोग लंच का पूरा टाइम सैंडविच या सलाद खरीदने के लिए लाइन में लगे रहकर ही बिता देते हैं।

वक्त की बर्बादी से बचने के लिए वनीसा अक्सर घर से ही स्नैक बार पैक करके लाती हैं। इन्हें खाकर वो खुद को एनर्जी भी देती हैं और वक्त भी बचा लेती हैं। वनीसा कहती हैं कि मेरे लिए सुबह हेवी ब्रेकफास्ट करना आसान होता है। फिर स्नैक बार पैक करके लाना और उससे काम चलाना सहूलियत भरा हो जाता है। वो कहती हैं कि हल्के-फुल्के खाने की वजह से दिन में नींद भी नहीं आती। हालांकि वो फास्ट फूड खाना नुकसानदेह मानती हैं।

अमरीका में दूसरे देशों के मुकाबले लोग छोटे लंच ब्रेक लेते हैं। 2016 में हुए सर्वे के मुताबिक 51 फीसद अमरीकी लोग लंच में 15 से 30 मिनट लगाते हैं। केवल 3 प्रतिशत लोग ही 45 मिनट या इससे ज्यादा वक्त लंच पर खर्च करते हैं। वहीं, फ्रांस में 43 प्रतिशत लोग लंच में 45 मिनट से ज्यादा टाइम खर्च करते हैं।

फेथ रागस, मकाती सिटी, फिलीपींस-

फिलीपींस में हर कर्मचारी को लंच के लिए एक घंटे दिए जाने का नियम है। यहां के के मकाती सिटी में रहने वाली फेथ रागस को अपने शहर में चलने वाली ठेला गाड़ियों का खाना बहुत पसंद है। इन्हें जॉलीजीप कहते हैं। इनमें अधपका खाना रखकर बेचा जाता है।

स्ट्रीट फूड को जायकेदार और साफ-सुथरा बनाने के लिए सरकार ने जॉलीजीप चलानी शुरू की थी। फेथ रागस अपने दफ्तर से थोड़ी दूर पर लगने वाली ऐसी ही ठेला गाड़ी से लंच लेती हैं। इन पर प्लास्टिक की थैलियों में घर के बने पकवान बेचे जाते हैं। फेथ कहती हैं कि दिन में तीन वक्त ठीक से खाना सेहत के लिए बेहद जरूरी है।

फ्रांस्वां पेलन, पेरिस, फ्रांस-

फ्रांस में लंच कल्चर बहुत शानदार है। यहां लोग लंच पर खूब पैसे भी खर्च करते हैं और वक्त भी। यहां 43 फीसद लोग रोज 45 मिनट लंच करने में बिताते हैं। करीब 72 फीसद लोग हफ्ते में एक बार जरूर रेस्टोरेंट में लंच करते हैं। फ्रांस्वां पेलन, पेरिस में प्रोडक्ट डिजाइनर हैं। वो आम तौर पर दफ्तर के पास स्थित सुपरमार्केट से लंच मंगाते हैं। लंच वो दफ्तर के किचन में अपने साथियों के साथ ही करते हैं।

हफ्ते में एक दिन वो बाहर जाकर किसी रेस्टोरेंट में भी खाना खाते हैं। लंच के दौरान वो साथियों से बात करते हैं। ये बातचीत तमाम मुद्दों पर होती है। फ्रांस्वां पेलन कहते हैं कि लंच के दौरान बातचीत से दूसरों की राय जानने को मिलती है। लंच के दौरान फ्रांस में वाइन पीने का भी चलन है। शुक्रवार को लंच में ज्यादा लोग वाइन पीते हैं। फ्रांस में दुनिया भर की कुल खपत का 11.3 फीसदी वाइन पी जाती है। शुक्रवार को ही लोग लंच के लिए भी ज्यादा बाहर जाते हैं।

तमर कसाबियां, काहिरा, मिस्र-

मिस्र में आम तौर पर लोग भारी-भरकम नाश्ता करते हैं। इसलिए लंच अक्सर 3 से 4 बजे तक होता है। ज्यादातर लोग घर से ही लंच पैक करके लाते हैं और दफ्तर में खाते हैं। काहिरा के सबसे बड़े मॉल सिटीस्टार हेलियोपोलिस में काम करने वाली तमर कसाबियां कहती हैं कि उन्हें जंक फूड खाना पसंद नहीं, इसलिए वो घर से ही खाना लाती हैं।

तमर बताती हैं कि काहिरा में बहुत-सी कंपनियां 1 से 2 बजे के बीच लंच करने का वक्त देती हैं। लेकिन इस दौरान लोग लंच नहीं करते और कॉफी-चाय पीते हुए वक्त बिताते हैं। लंच के लिए लोग 3 से 4 बजे के बीच आधे घंटे और निकालते हैं। तमर बताती हैं कि युमामिया जैसी कई ऐसी कंपनियां हैं जो साफ-सुथरा, हेल्दी लंच दफ्तर में पहुंचाती भी हैं। कुछ लोग इनकी सेवाएं भी लेते हैं।

एलिजा रिनाल्डी, साओ पाउलो, ब्राजील-

ब्राजील में आम तौर पर काम के घंटे ज्यादा होते हैं। लोग सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक काम करते हैं। इसलिए वो काम के बीच से लंच करने के नाम पर एक घंटे का ब्रेक लेते हैं। इस दौरान लोग दफ्तर से बाहर निकलना पसंद करते हैं। इसलिए कई कंपनियां भी कर्मचारियों को फूड कूपन देती हैं, ताकि सस्ते दाम में उनके खाने का इंतजाम हो सके।

ब्राजील के साओ पाउलो शहर में काम करने वाली एलिजा रिनाल्डी एक मीडिया कंपनी में कंटेंट डायरेक्टर हैं। वो और उनकी साथी नताशा, दोनों ही घर से अधपका लंच पैक करके दफ्तर लाती हैं। लंच टाइम में वो उसे तैयार करके खाती हैं। एलिजा कहती हैं कि घर से खाना लाना हेल्दी होता है। बाहर के खाने को वो सेहत के लिए ठीक नहीं मानतीं। उनकी साथी नताशा भी इस बात से इत्तेफाक रखती हैं। लंच टाइम पर बाहर निकलने के चलन पर एलिजा का कहना है कि अगर आप रोज़ बाहर निकलते हैं तो लोग ये मानते हैं कि आप कम काम करते हैं। इसलिए वो बाहर जाने से परहेज करती हैं।

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