राशन वाली सब्सिडी को बैंक खातों में ट्रांसफर करने पर 130 लाख करोड़ का हो रहा है नुकसान

राशन पर मुहैया कराई जाने वाली सब्सिडी को सीधे राशन कार्ड धारक के खाते में मुहैया कराए जाने वाली योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा राशन सब्सिडी का पैसा गृहणी के खाते में जाता है, जिसे पुरुष छीनकर शराब पी जाते हैं। तीन केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट में ऐसी तमाम दिक्कतें सरकार के सामने क्षेत्रीय प्रशासन ने रखी हैं।

राशन की सब्सिडी को बैंक खातों में ट्रांसफर करने पर 130 लाख करोड़ का हो रहा है नुकसानतीन केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया था पायलट प्रोजेक्ट
केंद्र सरकार ने पॉन्डिचेरी, दादरा नागर हवेली और चंडीगढ़ में राशन की बजाय उस पर मुहैया करायी जाने वाली सब्सिडी की रकम सीधे बैंक खाते में भेजने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था।

इसे पूरे देश में लागू करने की संभावनाओं से संबंधित सवाल पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इसमें कई दिक्कतें हैं। पायलट प्रोजेक्ट में तमाम तरह की परेशानियां हम देख रहे हैं। पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने डीबीटी की दिक्कतों के संबंध में खुद मुझसे मुलाकात की।

पासवान ने कहा कि कई मामलों में यह सामने आया कि गृहणी के खाते में पैसा भेजा गया और पुरुष उसे छीनकर शराब पी गए। अब ऐसे मामले में सरकार सीधे तौर पर कुछ नहीं कर सकती। ऐसी स्थितियों के मद्देनजर पायलट प्रोजेक्ट के बाद उनकी ओर से कहा गया कि पहले अनाज मिल जाता था, वही व्यवस्था सही थी। हालांकि केंद्रीय मंत्री ने साफ किया कि केंद्र के लिए यह योजना अच्छी है, लेकिन राज्यों को लागू करना है। इसमें हमें तो सीधे तौर पर ट्रांसपोर्टेशन का पैसा बचेगा।

उचित हाथों में सब्सिडी पहुंचाने को बनी थी योजना

पासवान ने कहा कि राज्यों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम 30 तारीख को अगर कोष स्थानांतरित कर देते हैं तो अगले दिन एक तारीख को लोगों के खाते में पैसा पहुंच जाए। यह गारंटी तो राज्यों को लेनी होगी।

राज्यों से इस योजना पर चर्चा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हमने कहा है पर कई दिक्कतें हैं। देखते हैं, क्या होता है। याद रहे कि सरकार हर साल 1.30 लाख करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी उपलब्ध कराती है।

सरकार ने यह योजना इस वजह से बनाई थी कि सब्सिडी लाभार्थियों के उचित हाथों में पहुंचे। दरअसल पिछले तीन साल में बड़े पैमाने पर राशन दुकानों में फर्जीवाड़े और फर्जी राशन कार्ड धारक होने के मामले सामने आए हैं।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 5 जुलाई 2013 से लागू हो गया है। इसके पूरे देश में लागू होने पर 81 करोड़ लोग कानूनी तौर पर राशन की दुकानों से सस्ता अनाज पाने के हकदार हो जाएंगे।

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