चलिए जानते हैं कब मनाया जाएगा पोहेला बैसाख व इसके महत्व…

पोइला बोइसाख, जिसे पोहेला बैसाख के नाम से भी जानते हैं पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, झारखंड और असम में बंगाली समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार बंगाली नव वर्ष का प्रतीक है और इस का काफी महत्व है। इस दिन को नए उद्यम शुरू करने, नई खरीदारी करने और मिल-जुलकर नए काम आयोजित करने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लोग पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, खास पकवान तैयार करते हैं और प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। इसके अलावा अलग-अलग जुलूस और मेले भी आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग संगीत और नृत्य का आनंद लेते हैं।

पोइला बोइसाख 2023:तारीख

हर साल, पोइला बैसाख 15 अप्रैल को मनाया जाता है। लोग इसे अपने प्रियजनों के साथ मनाते हैं और नई शुरुआत के वादे के साथ नए साल का स्वागत करते हैं। बांग्लादेश में पोइला बैसाख 14 अप्रैल को मनाया जाएगा।

पोइला बोइसाख 2023: इतिहास

पोइला बैसाख की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि मुगल शासन के दौरान, इस्लामी हिजरी कैलेंडर के साथ करों का संग्रह किया जाता था। लेकिन हिजरी कैलेंडर से चंद्र कैलेंडर मेल नहीं (कृषि चक्रों अलग होने के कारण) खाता था। इसलिए, बंगालियों ने इस त्योहार की शुरुआत की और बंगाली कैलेंडर को बंगबाड़ा के नाम से जाना जाने लगा। वहीं एक अन्य मान्यता के अनुसार, बंगाली कैलेंडर को राजा शशांक से जोड़ा गया है। बंगबाड़ा का उल्लेख दो शिव मंदिरों में मिलता है, जो इस बात का संकेत देता है कि इसकी उत्पत्ति अकबर काल से पहले हुई थी।

पोइला बैसाख 2023: महत्व

पोहेला बैसाख का बंगाल समुदाय के लोगों के बीच बहुत महत्व है क्योंकि यह दिन उनके लिए शुभ माना जाता है। इस प्रमुख दिन से बंगाली नव वर्ष की शुरुआत होती है। नोबो शब्द का अर्थ नया और बोर्शो का अर्थ वर्ष है। वे लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह दिन उनके लिए नया उद्यम, नया व्यवसाय शुरू करने और नया घर खरीदने और नया वाहन खरीदने के लिए शुभ है। यह त्योहार मुख्य रूप से बंगाल में मनाया जाता है।

पोइला बैसाख 2023: उत्सव

इस शुभ दिन पर पुरुष कुर्ता और महिलाएं पारंपारिक साड़ी में सजती हैं। सभी लोग अपने दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों के साथ इस त्योहार को मनाते हैं। इतना ही नहीं नव वर्ष की बधाई देने के लिए एक साथ मिलन का आयोजन करते हैं और साथ बैठकर खास पकवान का लुत्फ उठाते हैं। गांवों में पारंपरिक मेलों का आयोजन किया जाता है और बड़ी संख्या में लोग वहा आते हैं और इस दिन का पूरा आनंद लेते हैं। भोर के समय जुलूस निकाले जाते हैं, जिसे बोसाखी रैलियों के रूप में भी जाना जाता है और लोग इसमें खुशी और आनंद के साथ भाग लेते हैं। बंगाल में, हस्तकला की प्रदर्शनी पोइला बैसाख उत्सव का एक अभिन्न अंग है। कुछ लोग इस दिन उपवास रखते हैं, मंदिर जाते हैं और देवी की पूजा करते हैं।

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