आइए जानते है कैसे होता है किसी फिल्मों को टैक्स फ्री करने का चुनाव?

जब कोई राज्य किसी फिल्म को कर मुक्त घोषित करता है तो वह केवल आधे मनोरंजन कर से छूट देता है जो टिकट की कीमत के आधार पर या तो 9% या 6% होगा। तो आइए जानते है कैसे होता है किसी फिल्मों को टैक्स फ्री करने का चुनाव?

 ‘द केरल स्टोरी’ को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ‘कर मुक्त’ (TAX-Free) घोषित किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को ट्विटर पर घोषणा की कि इस फिल्म को राज्य में ‘कर मुक्त’ घोषित किया जाएगा।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले हफ्ते इसी तरह की घोषणा की थी, जिन्होंने कहा था, ‘फिल्म सभी को देखनी चाहिए’ और इसलिए राज्य फिल्म को कर मुक्त कर रहा है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि टिकट मुफ्त हैं? तो आइए जानते है कैसे होता है किसी फिल्मों को टैक्स-फ्री करने का चुनाव? क्या टैक्स फ्री करने से कोई फिल्म पूरी तरह आप फ्री देख सकते हैं? आइए इन्हीं सब सवालों को इस लेख के माध्यम से जानते हैं

किसी फिल्म को टैक्स फ्री कब घोषित किया जाता है?

इसके लिए कोई तय नियम नहीं है। फिल्म में संबोधित विषयों की प्रासंगिकता के अपने मूल्यांकन के आधार पर, राज्य सरकारें अलग-अलग फिल्मों के आधार पर कर आय के अपने दावे को छोड़ने या न करने का निर्णय ले सकती हैं। किसी विशिष्ट क्षेत्र में पर्यटन या उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण विषयों पर विचार किया जा सकता है।

ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने कहा कि, ‘यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार क्या सोचती है। यह विषय, जागरूकता फैलाने का कारण हो सकता है … और ये अलग-अलग फिल्मों के विषय पर निर्भर करता है।’

क्या टैक्स फ्री करने से टिकट फ्री हो जाता है?

नहीं, टिकट मुफ्त नहीं होती हैं, लेकिन वे रियायती मूल्य पर उपलब्ध होती हैं। तरण आदर्श के अनुसार, ‘यह दर्शकों के लिए फायदेमंद है। कम टिकट की कीमतें लोगों को मूवी हॉल में आने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, दर्शकों को आकर्षित करती हैं। अगर फिल्म दर्शकों को आकर्षित करती है, तो यह राज्य सरकारों के लिए अच्छा है, लेकिन अभिनेताओं को कोई लाभ नहीं मिलता है।’

टैक्स फ्री होने पर टिकट कितने सस्ते होते हैं?

2017 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की शुरुआत से पहले, भारत में प्रत्येक राज्य की अपनी मनोरंजन कर दर थी। अगर किसी फिल्म को कर-मुक्त दर्जा दिया जाता है तो मनोरंजन कर माफ कर दिया जाता है और इसका मतलब यह होगा कि टिकट काफी निजी कीमत पर उपलब्ध होंगे।

जीएसटी के लागू होने के बाद, शुरुआत में मूवी टिकट पर 28% कर की दर लगाई गई थी। हालांकि, बाद में दो अलग-अलग टैक्स स्लैब पेश किए गए: ₹100 से कम कीमत वाले टिकट पर 12% GST और ₹100 से ऊपर की कीमत वाले टिकट पर 18% GST। इस कर से उत्पन्न राजस्व संघीय और राज्य सरकारों के बीच समान रूप से वितरित किया जाता है।

अब, जब कोई राज्य किसी फिल्म को ‘कर-मुक्त’ घोषित करता है, तो वह केवल आधे मनोरंजन कर से छूट देता है, जो टिकट की कीमत के आधार पर या तो 9% या 6% होगा। इसका मतलब यह है कि कर-मुक्त राज्यों में मूवी टिकट अभी भी सस्ते हो सकते हैं, लेकिन छूट अब उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितनी पहले हुआ करती थी।

किन फिल्मों को और क्यों मिलती है टैक्स से छूट?

आम तौर पर उन फिल्मों को टैक्स से छूट उनके सब्जेक्ट के आधार पर दी जाती है। जैसे मोटिवेशनल फिल्में, नेशनल हीरोज़ के ऊपर बनी फिल्में, सांप्रदायिक सौहार्द्र यानी कम्युनल हार्मनी को प्रमोट करने वाली फिल्में, जो अच्छा मैसेज देती हों।

फिल्मों को टैक्स फ्री इसलिए किया जाता है, ताकि उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोग देखें। अगर टिकटों के दाम कम रहेंगे, तो उस फिल्म को कम आय वाले लोग भी देख पाएंगे। ये आइडियल सिचुएशन है। मगर हम जिस दुनिया में रहते हैं, वहां कुछ भी आइडियल नहीं है।

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